pub-4188398704664586

भउजी हो! अगहन में जोगीरा

by | Dec 21, 2014 | 0 comments

भउजी हो!
का बबुआ?

काल्हु चौक प एगो आदमी के देखनी जे अगहन में जोगीरा गावत रहुवे.
होखी कवनो पागल. अइसनका लोग से दूरे रहे के चाहीं.

ठीके कहतारू भउजी. ऊ ससुरा छाती ठोक-ठोक के अपना के हरामजादा साबित करे में लागल रहुवे. कहत रहुवे कि ओकरा नइखे मालूम कि ओकर केतना बाप हउवें आ ऊ खांटी हरमाजादा ह.
ए बबुआ, साँच बोले के आजादी त बा नू एह देश में. ऊ आपन सचाई बतावत रहुवे त रउरा कवन उरेज?

एहसे भउजी कि बाप एके आदमी हो सकेला. औरत के संपर्क चाहे जतना लोग से होखे जनमावे वाला बाप एके होला.
जाए दीं बबुआ. अइसन लोगन से फरके रहे के चाहीं. जवन अपना महतारी के नइखे छोड़त ऊ दोसरा के इज्जत का करी.

बाकिर भउजी चउक चौराहा पर हर तरह के लोग होला एकर त धेयान राखे चाहत रहुवे.
अरे जब ऊ अपने के हरामजादा साबित करत रहुवे त दोसरा के कवन चिन्ता. कुछ लोग अपना के एही तरह मशहूर करे के कोशिश करेला. हो सकेला कि ओकरा संगे हरामजादन के जमातो जुट जाव. आखिर ओकनी लगे गँवावे जोग बा का?

चलऽ हमहू छोड़त बानी एह बात के.

Loading

0 Comments

Submit a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Scroll Up pub-4188398704664586