शिक्षा क्षेत्र के राह बंगाल के नवजागरण के जरिया बन सकेला

by | Jun 2, 2011 | 0 comments

– पाण्डेय हरिराम

अतवार का दिने कोलकाता विश्वविद्यालय में गुरुदेव रवींद्र नाथ ठाकुर अउर आचार्य प्रफुल्ल चंद्र राय पर पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षक संघ एगो कार्यक्रम आयोजित कइले रहे. एहमें शामिल करीब सगरी वक्ता शिक्षण कर्म से जुड़ल रहले. एह आयोजन में जवन सबले खास बाति सामने आइल से ई कि बंगाल हमेशा से प्रतिभा के धनी रहल बा आ एह समाज में पिछला कई शताब्दियन से ले के आजु ले प्रतिभा के कमी नइखे रहल.

एह आयोजन का कुछ ही घंटा बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी राज्य के आर्थिक दुरवस्था से निकाले खातिर केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी से मुलाकात कइली. जइसन कि होखेला, केन्द्र हर संभव मदद के भरोसा दिहलसि. लेकिन ई मदद कब मिली आ कतना बेर माँगल जाई. राज्य के आर्थिक रूप से सम्पन्न बनावे के काम त करही के पड़ी. त काहे ना राज्य के नेता एहिजा के प्रतिभा के इस्तेमाल करत बंगाल के शिक्षा के मक्का बनावे के प्रयास करत ? कला, विज्ञान अउर साहित्य में अपना विलक्षण प्रतिभा खातिर बंगाली देश भर में मशहूर रहल बाड़े, अब हालात कुछ अइसन बन गइल कि पिछला सत्तर साल में बंगाल आपन ई समृद्धि बिला बईठल. ओकरा कारण के पड़ताल कइला के एहिजा कवनो मकसद नइखे. एहिजा इरादा बा कि बंगाली प्रतिभा के ओकरा भितर के काबिलियत के याद दिआवल.

अर्थ व्यवस्था के चार गो बड़का क्षेत्रन में से कृषि में बंगाल बहुते बढ़िया कइले बा. जहाँ ले औद्योगिक उत्पादन के क्षेत्र बा ओकरा में पूंजी बहुत लागेला आ ओकरा खातिर एगो बढ़िया ढाँचो जरुरी होला. ई बेहद जटिल समस्या बा, पिछला बरिसन के “लाल सलाम” देखत एहिजा पूंजी नेवतल बहुते मुश्किल काम बा. अतने ना, हिंदू उद्योगपति खुल के त ना बोलसु बाकिर एहीजा देसी आ बिदेसी मुसलमानन के बाढ़ से सब भीतरे भीतर चिंतित बाड़े आ एही से एहिजा पूंजी लगावे से हिचकत बाड़े. जहां ले एहिजा के हिंदू बंगाली समुदाय के सवाल बा ओकरा निगाह में बंगाल पहिले बा आ धर्म बाद में. कोलकाता भा बंगाल के हिंदू ना त 1946 के कत्ल-ए-आम भुलाइल बा ना ओकरा एह बात के परवाह बा कि बंगलादेश से हिंदुवन के खदेड़ल जा रहल बा. ओकरा खातिर बस बंगाल महत्वपूर्ण बा.

अब बाचल तिसरका क्षेत्र. ऊ ह सेवा क्षेत्र. एह क्षेत्र में बंगाली नौजवान खुद के साबित कर सकेले आ करबो करेले. लेकिन एहमें जवन सबले कारगर क्षेत्र बा ऊ ह इन्फारमेशन टेक्नोलॉजी के आ ओकरा में दक्षिण भारत के नवजवान खुद के स्थापित कर लिहले बाड़े. अब एकरा बाद जरुरी बा कि नौजवान ई सकारस कि पढ़ल पढ़ावल, माने कि शिक्षण सबले कारगर आर्थिक क्षेत्र बाचत बा. ई खाली समाजे सेवा ना हो के एगो आर्थिक गतिविधियो ह. सब समुझेले कि व्यक्तिगत विकास खातिर पढल जरूरी ह. देश में कतहीं बेहतर शिक्षण सुविधा नइखे. सब जगह, इहां तक कि बंगलादेश आ नेपालो में बढ़िया आ विश्वसनीय शिक्षण संस्थानन के अभाव बा. त काहे ना एहिजा के सरकार राज्य में निजी क्षेत्र के बढ़ावा देव कि एहिजा नया मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज खोलल जाव. एगो आई आई एम बा आ एगो नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, कृषि क्षेत्र मजबूत होखला का बावजूद कृषि विश्वविद्यालय भा कृषि संस्थान नाम भर के बा. स्कूल कॉलेज खोलल आ विकसित कइल सरल होला आ सबले सहज होला कि शुरु होखते आमदनी होखे लागेला आ ई बाति एहिजा के बंगाली जनमानस का अनुरुपो बा. ई काम बंगाल के आर्थिक विकास खातिर मुफीदो रही आ एकरा से बगाल के पुनर्नवजागरणो हो जाई.



पाण्डेय हरिराम जी कोलकाता से प्रकाशित होखे वाला लोकप्रिय हिन्दी अखबार “सन्मार्ग” के संपादक हईं आ उहाँ का अपना ब्लॉग पर हिन्दी में लिखल करेनी.


अँजोरिया का तरफ से

पाण्डेय हरिराम जी लिखले त बानी बंगाल का संदर्भ में बाकिर बिहार आ पूर्वांचल के इलाका एकरा से सीख ले सकेला. पूरा देश दुनिया में पसरल पुरबिया लोग के चाहीं कि अपना पूर्वजन का इलाका में एह तरह के शिक्षण केन्द्र बनावे के काम करसु. एह इलाका में चिकित्सा सुविधो बढ़वला के जरुरत बा काहे कि एहिजा के बहुते लोग इलाज खातिर दिल्ली मुंबई जात रहेला. बिहार में एह दिसाई त कुछ काम लउकतो बा बाकिर पू्र्वांचल पता ना कवना नींदे सूतल बा कि औकरा पते नइखे चलत. सुपर थर्टी का तरह के कवनो संस्था पूर्वांचल में काहे नइखे खुलत ? इलाहाबद के कबो पूरब के आक्सफोर्ड कहल जात रहे. आजु का बात बा कि एहिजा के लड़िका कोटा पुणे आ बैंगलुरु का तरफ भागत बाड़े ? दिमाग में सवाल पनपी त समाधानो लउके लागी. सवाल बइठवला के जरुरत बा दिमाग में.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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