पूर्व प्रधानमंत्री आ समाजवादी नेता स्व. चन्द्रशेखर के जन्म दिन पर नेशनल थिंकर्स फोरम दिल्ली के लक्ष्मीपति सिंहानिया आडिटोरियम में “चन्द्रशेखर: एक राष्ट्रवादी चिंतक” विषय पर एगो सेमिनार आयोजित कइले रहुवे जवना में समाज के अलग अलग क्षेत्र में बढ़िया काम करे वाला लोग के चंद्रशेखर सम्मान से सम्मानित कइल गइल. एह क्रम में भोजपुरी भाषा के विकास आ ओकरा के संवैधानिक मान्यता दिआवे में लागल भोजपुरी समाज, दिल्ली के अध्यक्ष अजीत दुबे आ इरमल मारला, प्रमोद कुमार दूबे (विधि क्षेत्र), अंबारी कृष्णमूर्ति (ट्रेड यूनियन क्षेत्र), ए.एस.कुमार, संतोष कुमार सिंह, कल्पनाथ चौबे (शिक्षा क्षेत्र), प्रमोद कुमार उपाध्याय अउर रवि सिंह (पत्रकारिता क्षेत्र), प्रहलाद सिंह (कृषि क्षेत्र), गोपाल नस्कर, खुशवंत सिंह राव आ बृज किशोर पाण्डेय वगैरह के सम्मानित कइल गइल.
चंद्रशेखर जी का बारे में फोरम के महासचिव डा. एस.पी. सिंह कहले कि चंद्रशेखर खाली राजेनेता ना रहलें बलुक एगो महान राष्ट्रवादी चिंतको रहले जेकरा राजनीति का केन्द्र में हमेशा आम आदमी रहत रहे, स्व. चन्द्रशेखर के सुपुत्र आ बलिया से सांसद नीरज शेखर अपना पिता के याद करत कह,े कि ऊ उनका पदचिन्हन पर चले के पूरा कोशिश करत बाड़े. समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व केन्द्रीय मंत्री रामविलास पासवान के कहना रहे कि चन्द्रशेखर जी अपना आप में एगो पूरा संस्था रहलें. आजु उनुका जइसन विलक्षण प्रतिभा के राजनेता के कमी बहुते बड़ शून्यता के बोध करावता.
समारोह में पूर्व केन्द्रीय मंत्री डा. संजय सिंह, पूर्व सांसद संतोष भारती, सांसद लोकेन्दर सिंह काल्वी, गाजीपुर के पूर्व कलेक्टर कमल टावले आ बलिया के पूर्व कलेक्टर शंकर अग्रवाल, चंद्रशेखर जी के राजनीतिक सलाहकार रहल एच.एन. शर्मा वगैरह लोग चंद्रशेखर जी से जुडल आपन संस्मरण सुनावल.
एह मौका पर भोजपुरी में बोलत अजीत दुबे कहले कि ई बहुते दुखद बा कि देश में हिन्दी के बाद सबसे ज्यादा लोग के आ दुनिया के बीस करोड. से बेसी लोगन के भाषा भोजपुरी आजुवो संवैधानिक मान्यता से वंचित बिया. एह मंच से ऊ फेर आवाज उठवलन कि सरकार जल्दी से जल्दी भोजपुरी के संविधान के आठवाँ अनुसूची में शामिल करे.
सेमिनार आ सम्मान समारोह का बाद दूसरा सत्र में सांस्कृतिक कार्यक्रम के तहत भोजपुरी गायक मोहन राठौर आ अनामिका सिंह भोजपुरी लोकगीतन के शानदार प्रस्तुति कइले.
भोजपुरिया समाज आ संस्कृति के बढाव आ विकास खातिर श्री अजीत दुबे जी जेह तरे दिल्ली में लागल बाडे उ वाकई में काबिले तारीफ बा… उनकर जेतना भी तारीफ कैल जा कम बा, आज दिल्ली में भोजपुरी के कवनो अनुष्टान अजीत दुबे जी के बिना अधूरा लागेला, अगर ई कहल जाव त कवनो अचरज के बात ना होई कि आज दिल्ली में दुबे जी भोजपुरी के पर्याय बन चुकल बानी. बहुत बहुत बधाई आ भगवान से ई प्रार्थना कि भगवान उनकर आत्मबल आ शक्ति एही तरे बनवले रहे आ उ एहिंगा उत्साह आ जोश के संगे ए पुण्य सामाजिक आ सांस्कृतिक अनुष्टान में लागल रहे औरी उनकर कीर्ति के पताका चहु ओर फैले .