गोरखपुर के भोजपुरी संगम के 162 वीं ‘बइठकी’

by | Aug 14, 2023 | 0 comments

गोरखपुर के ‘भोजपुरी संगम’ के 162 वीं ‘बइठकी’ स्व.सत्तन जी का आवास पर, खरैया पोखरा, बशारतपुर, गोरखपुर में इं.राजेश्वर सिंह के अध्यक्षता अउर चन्देश्वर ‘परवाना’ के संचालन में पिछला दिने करावल गइल. एह कार्यक्म के मुख्य अतिथि रहलन सत्य प्रकाश शुक्ल जी.
बइठकी के पहिलका दौर में चुनल कहानीकार अरविंद ‘अकेला’ के कहानी ‘कहाँ चूक हो गइल’ के वाचन अवधेश शर्मा ‘नंद’ कइलन, एह कहानी के समीक्षा करत शशि विन्दु नारायण मिश्र एकरा के एगो मध्यमवर्गीय परिवार के वास्तविक कहानी बतवलन. इहो कहलन कि एह कहानी के हिन्दी का जगहा भोजपुरी के मौलिक शब्दन के व्यवहार से अउरी बेहतर बनावल जा सकत रहुवे.
दोसर समीक्षक अवधेश ‘नंद’ कहलन कि उनुका ई कहानी भोजपुरी के गोरू-बछरू, बाग-बगइचा, हरज-गरज जइसन युगल शब्दन से भरल आ रुचिकर लागल. इहो कहलन कि एकरा कथानक में कवनो मुख्य पात्र ना रहल खटकत बा.
तीसर समीक्षक डॉ.फूलचंद प्रसाद गुप्त एकरा के भोजपुरी के मौलिक कहानी बतावत कहानीकार के बधाई दिहलन कि ऊ एहमें बहुते अइसन शब्द बाड़ी सँ जवन अब भोजपुरी से अलोप होखल जात बाड़ी सँ जइसे कि रेघारी, अकनत, उद्बेग वगैरह.
चउथ समीक्षक  सत्य प्रकाश शुक्ल ‘बाबा’ कहलन कि कहानी के मथैला त बेहतर बा बाकिर कथ्य कमजोर बा. जबकि  बताया। इं.राजेश्वर सिंह एकरा के नीमन कहानी बतावत लेखक के साधुवाद दीहलन.
बइठकी के दूसरका दौर ‘कवितई’ के रहल जवना में कवि लोग अपना कविता के पाठ क के सुनवलें.
नर्वदेश्वर सिंह के वाणी वंदना से एह दौर के शुरुआत भइल. कुमार अभिनीत भोजपुरी संगम के संस्थापक रहल स्व.सत्तन जी के रचना के सस्वर पाठ कइलन –
दियना जगमग करे उजियारी,
राम लखन सिय हरसै निहारी।
डॉ.फूलचंद प्रसाद गुप्त के असरदार दोहन से बइठकी के अलगे दिशा मिलल –
पाटि-पाटि के पाट के, चौंड़ा कइलस पाट।
राहि छेका के देखि लऽ, बिछा के बइठल खाट।।
चन्देश्वर ‘परवाना’ के मारक इउर संदेशपरक दोहो खूबे सराहल गइल –
सहरे घर बनवाइ के, बइठि अगोरऽ रोज।
रिस्ता नाता खतम सब, छुट्टी नेवता भोज।।
राम समुझ ‘साँवरा’ अपना प्रस्तुति में देशप्रेम के भाव जगावत सुनवलन  –
देसवा हमार भारत जान से हमके प्यारा बा,
दिल के दुलारा बा ना।
अवधेश शर्मा ‘नंद’ के निर्गुन माहौल के विचारमग्न क दिहलसि  –
पंछी उड़ि के सब सुख पावत, 
जीयत में  दुःख दूना, ऊ बूझे जिनगी बिन बूना।
सत्य प्रकाश शुक्ल ‘बाबा’ की सुरमयी प्रस्तुति सभका के मोह लिहलसि –
चुवे गरमी में गर-गर पसीना, 
नगीना तनी फरके रहीं,
का कहीं हम कुछ लागे कहीं ना, 
नगीना तनी फरके रहीं।
राम सुधार सिंह ‘सैंथवार’ के देशभक्ति वाला सामयिक गीत के प्रस्तुति सुघढ़ रहल –
माई कहले रहलि बेटा, देस पावे न तुहसे धोखा,
हाथ गोड़ चाहे देहियाँ चढ़ावे के पड़े।
निर्मल कुमार गुप्त ‘निर्मल’, नील कमल गुप्त ‘विक्षिप्त’, शशि विन्दु नारायण मिश्र, अउर नर्वदेश्वरो सिंह आपन आपन कविता गीत सुना के ‘बइठकी’ के पुरहर कइलें.
 सबले खास रहल रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी, धर्मेन्द्र त्रिपाठी, अमित कुमार, डॉ.विनीत, कार्तिक मिश्र, कुशाग्र जइसन सुधीजनन के मौजूदगी.
आखिर में संयोजक कुमार अभिनीत अगिला महीना होखे वाली बइठकी के रूपरेखा बतवलन  आ इं.राजेश्वर सिंह सभे लोग से आभार जतवलें.
(संयोजक कुमार अभिनीत के भेजल हिन्दी रपट के भोजपुरी अनुवाद.) 

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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