‘भोजपुरी संगम’ के 165 वीं ‘बइठकी’

by | Nov 15, 2023 | 0 comments


गोरखपुर में भोजपुरी के सबले पुरान संस्था भोजपुरी संगम के 165 वीं ‘बइठकी’ दीपावली के उपरि बेरा 66, खरैया पोखरा, बशारतपुर, गोरखपुर स्थित संस्था कार्यालय में वागीश्वरी मिश्र ‘वागीश’ के अध्यक्षता आ धर्मेन्द्र त्रिपाठी के संचालन में कइल गइल.

बइठकी के पहिलका सत्र में भोजपुरी के सेसर कलमकार रवीन्द्र श्रीवास्तव ‘जुगानी’ के भोजपुरी साहित्यिक अवदान पर विस्तार से चरचा कइल गइल. चरचा के शुरुआत करत रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी कहलन कि जुगानी अपना गाँव, शहर, कस्बा में जिनिगी के रेशा-रेशा देखे-परखेलें आ ओकरो के रूपक-बिम्बन से भरल अपना पोढ़ रचना का रूप में जनमानस को सोझा परोसेलें. इनका रचनन में भोजपुरी के ठेंठ-पुरातन शब्दन, मुहावरन, आ कहाउतन के सटीक आ मजगर उपयोग होला. इहे ना, नया-नया मुहावरन के गढ़े में जुगानी के जवन महारत हासिल बा ऊ दोसरा केहू का लगे नइखे.

चरचा आगा बढ़ावच डॉ. फूलचंद प्रसाद गुप्त कहलन कि जुगानी नाम भोजपुरी साहित्याकाश के अइसन तारा हवे जवन करीब पचास बरीस से लगातार जगमगा रहल बा. भोजपुरी साहित्य के एगो आन्दोलन के रुप में स्थापित करे वाला गिनल-चुनल लोगन में जुगानी जी का नाम बहुते सम्मान से लीहल जाला. इनकर उच्च कोटि के व्यंजक रचना अपना भाव आ कला पक्ष के दृष्टि से लोक मानस में आपन अमिट छाप छोड़े में पूरा समर्थ होले.

वीरेन्द्र मिश्र ‘दीपक’, चन्देश्वर ‘परवाना’ एवं अउर अध्यक्षता करत वागीश्वरी मिश्र ‘वागीश’-ओ जुगानी से जुड़ल अविस्मरणीय संस्मरण पर विस्तार से बतावल लोग.

बइठकी के दुसरका कवितई के सपर्पित रहल जवना में अवधेश ‘नंद’, निखिल पाण्डेय, अरविंद ‘अकेला’, अजय कुमार यादव, वीरेन्द्र मिश्र ‘दीपक’, डॉ.फूलचंद प्रसाद गुप्त, चन्देश्वर ‘परवाना’, राजेश ‘राज’, राम समुझ ‘साँवरा’, अउर निर्मल कुमार गुप्त आपन-आपन कविता सुनवलें.

संयोजक कुमार अभिनीत अपना पिता स्वर्गीय सत्तन जी के चर्चित दियना गीत के बहुते भावुक पाठ कइलन. आ आखिर में अध्यक्षता करत वागीश्वरी मिश्र ‘वागीश’ के कविता से सत्र के समापन भइल.

बइठकी में सृजन गोरखपुरी, डॉ विनीत मिश्र सहित अनेके प्रबुद्ध लोगन के सहभागिता रहल. आभार ज्ञापन रवीन्द्र मोहन त्रिपाठी कइलन.

एगो अउर समाचार पहिलहूं मिलल रहुवे बाकिर समय पर अंजोर ना हो पावल. अब देरे से सही नीचे दीहल जो रहल बा.

समाज के बिगड़ल रूप देखते चल पड़ेले कवि नंद के कलम

भोजपुरी संगम के 163 वीं बइठकी भोजपुरी के सुख्यात कवि-गीतकार अवधेश शर्मा नंद के कवितन के समीक्षा पर रहुवे. कलम समाज के बिगड़े रूप पर निगाह पड़ते ही चल पड़ती है। उनकी कविताओं का भावपक्ष न केवल
यह विचार व्यस्त किये गये। अवसर था अवधेश नंद की कविताओं की समीक्षा का।

कार्यक्रम के संचालन अरविंद अकेला आ अध्यक्षता वरिष्ठ कवि वीरेंद्र मिश्र दीपक कइलें.

बतावल गइल कि समाज के बिगड़ल रूप देखते चल पड़ेले कवि नंद के कलम. उनुका कवितन के भावपक्ष गज्झिन होखला का साथही समाज के विद्रूपतन पर बहुते करीना से चोट करत लउकेले.

बइठकी के पहिलका सत्र में अवधेश नंद ने भोजपुरी सवैय्या, दोहा, गीत, ग़ज़ल अउर निरगुन गीत के सस्वर पाठ कइल गइल. ओकरा बाद डा. कुमार नवनीत, वरिष्ठ कवि धर्मेन्द्र त्रिपाठी अउर डा. फूलचंद प्रसाद गुप्त आपन समीक्षा आलेख पढलें. डा. कुमार नवनीत के आलेख उनुका अनुपस्थित रहला का चलते कुमार अभिनीत पढ़लें.

कार्यक्रम के दूसरका चरण हमेशा का तरह कवितई ला रहुवे. एह सज्ञ में अवधेश नंद,सूरज राम आदित्य, डा. अजय जी अंजान, राम समुझ सांवरा, सुधीर श्रीवास्तव नीरज, केशव पाठक सृजन, अरविंद अकेला, ओम प्रकाश पांडेय आचार्य, नंद कुमार त्रिपाठी, चंद्रेश्वर परवाना, डा. फूल चंद गुप्त, आ वागीश जी आपन कविता-पाठ कइलें.

संयोजक कुमार अभिनीत सभका ला आभार जतवलें.

(भोजपुरी संगम का ओर से आइल सूचना पर आधारित रिपोर्ट)

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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