Santosh Patel

– संतोष कुमार पटेल

भिखारी ठाकुर
भोजपुरी माई के एगो लाल
मनई में कमाल
अइसन पूत के पाके धरती
हो गइली निहाल.

काहे कि अइसन लोग
धरती पर
बेर बेर न आवेलें
सांच सीधा गीत न गावेलें
परेम के नेह के
सनेह विछोह विराग के
हियवा में धधकत आग के.

बाकिर उ गवलें
इहाँ उहाँ धवले
हाथ में भोजपुरी के
लिहले मशाल
जवना के लूती लूती में रहे
गाँव गवई के हाल
बिदेसिया के अलाप
विधवा के विलाप
अनाथ के लोर
गरीब के सुसकी
महाजन के मनमानी.

हेतना के करी
भोजपुरी के भंडार भरे ला
माई के सेवा करे ला
अपना गीत से
संगीत से
रीत आ पीरीत से
जवना में नाटक बा
कहानी बा
अंखिया से चूवत पानी बा
लोर से लजारत ओरियानी बा
एगो टूटही पलानी बा
बोल बा
झांझर मुंह आ
धुराइल जवानी के.

बाकिर हउए ऊ
अन्हार में अंजोर नियर
तबहिये नू
दुनिया कहे ला उनके
भोजपुरी के शेक्सपियर


जुलाई के महिना में (१० जुलाई, १९७४) के भोजपुरी के शेक्सपियर के पुण्यतिथि रहे.
उनही के समर्पित ई हमर रचना जवन दू दिन पहिले लिखले बानी. आ अबले अप्रकाशित बा.

संतोष पटेल के दूसर कविता

कवि संतोष पटेल भोजपुरी जिनगी त्रैमासिक पत्रिका के संपादक, पू्वांकुर के सहसम्पादक, पूर्वांचल एकता मंच दिल्ली के महासचिव, आ अखिल भारतीय भोजपुरी भाषा सम्मेलन पटना के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री हउवें.

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2 thoughts on “भिखारी ठाकुर”
  1. कुतुबपुर मकान जंहावा,गंगाजी के धारा बा
    भिखारी भोजपुरिया, के बतिया निराला बा

    माटी में साउनाईल ,अउरी भाव में लपेटाईल.
    गबर -घिचोर ,विदेसिया ,विधवा विलाप सुनाइल.
    ई अनपढ़ पुरुखवा आजु सभेके दुलारा बा
    भिखारी भोजपुरिया, के बतिया निराला बा
    पटेल साहब बड़ी निक लागल राउर रचना में भिखारी ठाकुरजी के पा के .
    गीतकार :-ओ.पी. अमृतांशु

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