दू गो छोटहन कहानी

by | Feb 7, 2012 | 2 comments


(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 14वी प्रस्तुति)

– राजगुप्त

(एक) पान खइनी, गुटका-गुटकी

ट्रेन अपना रफ्तार से दउड़त रहे. गर्मी के दिन ऊपर से बहुते भीड़ि रहे. सज्जी पसिन्जर गर्मी से बेहाल रहले. एही बीचे एगो चना बेचत अदिमी भीड़ि
के चीरत आइल. पेट पर खाँची लटकवले रहल. उहो पुरहर पसेनियाइल रहे. ”चना भई चना, गरम-गरम चना, जायकेदार- मसलदार केतना चटकार बा, खा के बताईं. मजा ना आई त पइसा वापस हो जाई. सेन्हा नून मरिचा पियाज संगे खाईं. लीं तनि चीखीं. चीखि के आनो के बताईं.“ चना वाला एक सुर से सभके जनावत, चेतावत रहे.

ताश खेलत एगो लड़िका के चना वाला के बोली भारी बुझाइल त डपटि के कहलसि, काहे कान खाताडे़ रे ? आगा बढ़ि जो, एइजा तोर दाल ना गली. एइजा सभे अपना अपना मुँह में पान-खैनी, गुटका गुटकी दबवले बा.“

(दू) समय
एक दिन एगो आदमी बगइचा में आम के फेड़ा पर झटहा चलावत रहे. झटहा चलावत-चलावत ओकर पँखुरा बत्थे लागल. बाँहि पटा गइल बेचारा के. बाकिर पतई के सिवा फर हाथे ना लागल. एही बीचे एगो चतुर-चल्हाँक आदमी आपरूपी परगट हो गइल. थाकल मादल आदमी के दशा देखि के बोलल, ”हे मरदे आदमी ! एकइसवी सदी में काहे कालीदास बन ताड़ऽ ? ई सीजन ना ह. मोजर लगबे ना कइल त टिकोरा के आस जनि करऽ.“


पिछला कई बेर से भोजपुरी दिशा बोध के पत्रिका “पाती” के पूरा के पूरा अंक अँजोरिया पर् दिहल जात रहल बा. अबकी एह पत्रिका के जनवरी 2012 वाला अंक के सामग्री सीधे अँजोरिया पर दिहल जा रहल बा जेहसे कि अधिका से अधिका पाठक तक ई पहुँच पावे. पीडीएफ फाइल एक त बहुते बड़ हो जाला आ कई पाठक ओकरा के डाउनलोड ना करसु. आशा बा जे ई बदलाव रउरा सभे के नीक लागी.

पाती के संपर्क सूत्र
द्वारा डा॰ अशोक द्विवेदी
टैगोर नगर, सिविल लाइन्स बलिया – 277001
फोन – 08004375093
ashok.dvivedi@rediffmail.com

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2 Comments

  1. महेंद्र तिवारी

    कहानी तव बहुत बेहतर बा और प्रशंसा के योग्य बाय अपन भोजपुरी भाषा कय मिठास इहाँ अहमदाबाद (गुजरात) में मिलले पर काफी सुकून मिलेला और ऐसा लगता है हमहू अपने भाषा के पास ही हैं रउवा के हमरी ओर से ढेर सारा धन्यवाद हिंदी भाषा ज्यादा लिखले के कारण भोजपुरी लिखले में गलती होय सकेली ओकरा खातिर माफी चाहिब नमस्कार

  2. amritanshuom

    वाह! बहुते बढ़िया लागल दुनो कहानी .
    ओ.पी.अमृतांशु

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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