आजु जब लिखे बइठल बानी त छठ व्रत के परसाद सामने आ खरना शब्द दिमाग में बा. खरना मतलब खरो ना, कवनो तिनको ना. अइसन उपवास. बाकिर खर दुष्टो के कहल जाला. आ आखर कहल जाला उबड़ खाबड़ भा रगड़त चीझ के. अब सोचीं कि खर, खरना, आखर में कवन संबंध हो सकेला भा बनावल जा सकेला ? बतकूचन के त मतलबे इहे होला. कि बात बेबात बात निकालत चलि जाव. खर तिनका भा दुष्ट के कहल जाला जे गड़े वाला होखे, परेशान करे वाला होखे. लेकिन तिनका के का अवकात कि ऊ परेशान कर देव. ओकरा के त तुरते उधियावल जा सकेला. बाकिर तिनका का साँचहू कमजोर होला ? अगर कमजोर रहीत त फेर ई काहे कहल जाला कि डूबत के तिनका के सहारा ! कहे के मतलब कि कवनो डूबत आदमी के तनिको भा तिनको के सहारा मिल जाव त ऊ बाँचे के जुगत में लाग जाला आ कई बेर बाँचियो जाला. एह बँचला में ओह तिनका के अतने भर किरदार रहेला कि ऊ डूबत आदमी में आशा के किरन जगा देला ओकर हिम्मत बढ़ा देला. ओकरा बाद ऊ आदमी अपना बल बूता के भरसक पूरा इस्तेमाल अपना के बचावे में करे लागेला. बाकिर खर ? दुष्टवाला खर ? ओकरा त दोसरा के परेशान करे में ओकरा के नुकसान चहुँपावे के कोशिश करे के होला.

खरे से बनल एगो दोसर शब्द होला खरबिरवा. खरबिरवा मतलब जंगली खर पतवार से निकलल जड़ी बूटी जवना के इस्तेमाल रोग के इलाज में होला. खर में से खोज के निकालल बिरवा मतलब खरबिरवा. सवाल उठावल जा सकेला कि बिरवा त कोंपल के कहल जाला. त खरबिरवा के मतलब एहसे त नइखे कि खर के नया इस्तेमाल कइल बिरवा हो गंइल आ ऊ जड़ी बूटी खरबिरवा. भोजपुरी के शब्द भंडार अतना विशाल बा कि ओकर थाह लगावल आसान नइखे. शायद एकरे फायदा हम बतकूचन में भा बतकुच्चन में निकालिलें. हर हफ्ता नया कड़ी ले के आइल आसान ना रहीत अगर हर बेर कवनो दोसर शब्द समूह ना मिल जाइत बतकूचन खातिर. भोजपुरी के एगो अउरी कहाउत ह कि अपना आँखि के फूला ना लउके दोसरा आँखि के माढ़ा जरूर लउक जाला. अतना दिन से बतकूचन करत आवत बानी आ अपने मथैला पर धेयान ना गइल. धन्यवाद बा ओह सुधि भोजपुरिया विद्वान के जे हमरा के फोन पर एह तरफ धेयान दिअवलें.

एह बीच आखर पर से धेयान हट गइल रहे. आखर मतलब उबड़ खाबड़, खर खर, भा उघार जगहा के. अलग बाति बा कि बातो आखर हो सकेला बे मर मिलावट के !

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3 thoughts on “बतकुच्चन – ३४”
  1. श आ ष पर…राहुल सांकृत्यायन के भागो नहीं बदलो के भूमिका देखे लाएक बा। उहाँ सीधे ई नइखे कहल गइल बाकिर धेयान से देखला पर ई बात साफ होता। लेकिन जब ण,ष,श सब लिखाए लागी तब भोजपुरी हिन्दी के नकल अइसन लागे लागी। आच्छा। एपर बिचार फरका बा, तब बाद में बात होई। अबहीं त बतकुच्चन वाला काम खातिर राउर धन्यवाद काहेकि हिन्दी के अजित जी वाला काम भोजपुरी रउआ ईहाँ कर रहल बानी बाकिर मंजिल दूर बा। बहुते कारन हो सकेला। कुछ से परिचित बानी। कुछ समस्या से त हमेसा पाला परत रहल बा। …मेहनत जारी रहे…

  2. प्रिय चंदन जी,

    भोजपुरी में श भा ष के इस्तेमाल ना होखत रहे, रउरा एह बाति से हम पूरा तरह से सहमत बानी. बाकिर अबहियो ना होखे के चाहीं एहसे तनी फरका विचार बा.

    रउरा टिप्पणी खातिर धन्यवाद. काहे कि आजु बतकुच्चन के नयका कड़ी लायक इशारा मिल गइल बा.
    राउर,
    ओम

  3. खर पर आउरो कुछ खोजत रहल ह। भोजपुरी में श ना होखे, एकर पुस्टि राहुल सांकृत्यायन आ भोजपुरी अकादमी के 1980 के आस-पास के किताबो से होता।

कुछ त कहीं......

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