भोजपुरी ‘उन्नीस’ नइखे बाकिर “बीस’ के बनाई ?

by | Jul 10, 2014 | 0 comments

– अशोक शर्मा ‘अतुल’

AshokSharmaAtul
कवनो विषय भा प्रसंग पर जब कवनो बतकही चलेला त ओकरा समेसया पर अधिक जोर रहेला – हई ना भइल, हउ ना भइल. त फलाने जिमेवार, चिलाने कसूरवार. कहे के मतलब कि जेतना माथापच्ची समेसया बतावे पर होला ओतना समाधान पर ना होला. ओइसहीं जब कबो भोजपुरी भाषा के प्रसंग छिड़ेला त बतकही मीन-नेख से शुरू होला आ एही पर खतम हो जाला.

भोजपुरी भाषा के मान्यता आ एकरा विकास के बहाने सड़क से संसद तक हल्ला-गुल्ला हो चुकल बा, बाकिर नतीजा उहे ढाक के तीन पात. कबो राजनीतिक पेच के रोआई त कबो संसाधन के दोहाई. एह पर कबो विचार ना भइल कि भोजपुरी के वकालत करे वाला लोग के वकालत के आधार का बा. का एह पर कबो सोच-विचार होला कि भोजपुरी खातिर हमनी के आपन ‘व्यक्तिगत’ भूमिका का होखे के चाहीं. दू-चार गो कविता, कहानी लिख लिहला से आ कवनो मंच पर खड़ा होके भाषण दे देहला भर से भोजपुरी के कल्याण हो जाई ? हमनी के मांग जायज बा कि भोजपुरी के संविधान से मान्यता मिले के चाहीं. ठीक बा कि एह काम में बिलम भइला के राजनीतिक कारण बा, बाकिर खाली राजनीतिए के भरोसे बइठला से कुछु नइखे होखे वाला.

मैथिली, बोड़ो, राजस्थानी के मान्यता मिल गइल त भोजपुरिओ के संविधान के मान मिले के चाहीं, काहे से भोजपुरी बोले वाला के गिनती ओकनी से जेयादे बा. एकदम सही, बाकिर इहो त देखीं कि मैथिलीभाषी आ बोड़ोभाषी के अपना मातृभाषा के प्रति प्रेम आ हमनी के मातृभाषा प्रेम में का अंतर बा. अंतर इहे कि मन में भोजपुरी बसला के बादो ‘व्यवहार’ में नइखे.

अनचिन्हार के आगे जब दू जना भोजपुरिया मिलेलन त बतकही भोजपुरी में ना, बलुक दोसर-तीसर भाषा में होखेला. एकरा पीछे मानसिकता ई बा कि कहीं भोजपुरी बोलला से हमनी के मान ना घट जाव भा केहू हमनी के गंवार ना कहो (काहे से कि अबही ले भोजपुरी बोलला के मतलब गंवारूपन समझल जाला, ई बात अलग बा कि सिनेमा जगत में भोजपुरी के डंका बज रहल बा). एगो अउर नजीर देखीं. स्कूल, कालेज में नाम लिखावत घरी मातृभाषा वाला कोष्ठक में भोजपुरी के जगहा हिंदी लिखेनी सन. लइकवे जब आपना माई के ना मनीहन सन त दोसरा के मुंह ताकल अपने मुंह पर जूता मारल ना कहाई का ?

साहित्य लेखन के नाम पर कुछ पत्र-पत्रिकन के अलावा भोजपुरी कहां बिया पता ना चलेला. कुछ विद्वानन के किताब जरूर बा, बाकिर कहवां बा आ ओकरा प्रचार-प्रसार खातिर का होता, हमनी के मालूम नइखे. हो सकेला रुचि एगो कारण होखे, त बात उपलब्धतो के बा. कहां से खोजल जाव भोजपुरी साहित्य आ के बतावे कि भोजपुरी खाली एगो बोलिए ना ई हमनी के आत्मा हिअ. अत्मे ना रही त देह कवना काम के. एहिसे भोजपुरी साहित्य आ साहित्यकार बिरादरी पर ठोस काम कइल जरूरी बा.

ई त सभे जानता कि भोजपुरी साहित्य माने खाली कथे-कविते होला आ ले दे के भिखारी बाबा के रचल नाटक. कथा-कविता छोड़के कवनो अउर विषय जइसे राजनीति, धर्म-कर्म, विज्ञान, भूगोल, इतिहास पर भोजपुरी लेखन खोजला पर ना मिली. हो सकेला एह विषयन पर भोजपुरी लेखन बाजार के जरूरत ना होखे, बाकिर एहसे भोजपुरी के धार त बढ़ी. ई त कहइबे करी कि भोजपुरी भाषा में दुनिया के कवनो बात कहा-लिखा सकेला.

बात एतने नइखे. ई कवन समझदारी कहाई कि बाजारी भा रोजगार के भाषा के चलते हमनी के आपन जुबान काट के फेंक दिहल जाव. उन्नति कइला के माने ई ना होला कि आपना बूढ़-पुरनिया लोग भुला दिहल जाव. बूढ़-पुरनिया के माने ओह पंरपरन से बा जवन अंटी ढीला कइलो पर कवनो बाजार में ना मिली. सोहर, सांझा माई, फगुवा के गीत, कोहबर के गीत, बेटी विदाई के गीत, पाहुन पुजाई जइसन तीज-तेवहार आ आयोजन अबहीं ले कायम बा त खाली ‘लोकजीवन’ (गांव, खेत-खरिहान) में. आपना संस्कृति आ परंपरा के बचावे खातिर एकर संरक्षण जरूरी बा, जवन लेखन के रूप में हो सकेला. एहि बहाने आपना अतीत के गौरव गान हो जाई आ आवे वाली पीढ़ी के आपना पुरखन के विरासतो मिल जाई.

संविधान से मान्यता मिलो भा ना मिलो, साहित्य अकादमी भोजपुरी के भाषा मानो चाहे मत मानो – एइसे कवनो बहस नइखे. काहे से कि भोजपुरिआ संतान के आपना माई के ‘स्वाभिमान’ खातिर केहू से प्रमाणपत्र ना चाहीं. बाकिर एतने कि पहिले हमनी के खुदे ई बात माने के पड़ी कि भोजपुरी केहू से कम नइखे, एकरा के आपना बेवहार-सुभाव में शामिल करे के पड़ी आ लेक्चरबाजी छोड़के आपना कर्म से सिद्ध करे के पड़ी कि भोजपुरी केहू से उन्नीस नइखे.


अशोक शर्मा ‘अतुल’
उप-समाचार संपादक, दैनिक पूर्वादय
मोबाइल 98642-72890

Loading

0 Comments

Submit a Comment

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

हेल्थ इन्श्योरेंस करे वाला संस्था बहुते बाड़ी सँ बाकिर स्टार हेल्थ एह मामिला में लाजवाब बा, ई हम अपना निजी अनुभव से बतावतानी. अधिका जानकारी ला स्टार हेल्थ से संपर्क करीं.
शेयर ट्रेडिंग करे वालन खातिर सबले जरुरी साधन चार्ट खातिर ट्रेडिंगव्यू
शेयर में डे ट्रेडिंग करे वालन खातिर सबले बढ़िया ब्रोकर आदित्य बिरला मनी
हर शेेयर ट्रेेडर वणिक हैै - WANIK.IN

Categories

चुटपुटिहा

सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


अउरी पढ़ीं
Scroll Up