Santosh Patel

– संतोष कुमार पटेल

शब्द्कोश के नया शब्द
समाज के स्वस्थ/शिक्षित/परिष्कृत बनावे के
साधन/प्रसाधन
जे कह ल
जवन कह ल
बड़ा व्यापक बा ई शब्द
जेकर अर्थ भले समझ गइल बिया सरकार
बाकिर
एकर मरम समुझे खातिर
धोवे के पड़ी
आंखिन से शरम
काहे कि
एन.जी.ओ. उहे चला सकेला
जे धो देले होखे
आंखिन से पानी

फंडिंग के पाछे गला देले होखो
आपन जवानी
आखिर बुढ़ापा के खर्चा
के उठाई
उ त एन.जी.ओ.के
फंडिंगे से त आई
त आव भईया
मिलजुल के
एगो एन.जी.ओ. चलावल जाय
आ आपनो भविष्य सुखद बनावल जाय.


संतोष पटेल के दूसर कविता

कवि संतोष पटेल भोजपुरी जिनगी त्रैमासिक पत्रिका के संपादक, पू्वांकुर के सहसम्पादक, पूर्वांचल एकता मंच दिल्ली के महासचिव, आ अखिल भारतीय भोजपुरी भाषा सम्मेलन पटना के राष्ट्रीय प्रचार मंत्री हउवें.

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2 thoughts on “एन जी ओ”
  1. प्रभाकर जी
    नमस्कार
    हामार कविता रउरा पसंद पडल सारा मेहनत सार्थक भइल.
    अपन कवितां के ए गो संग्रह निकालत बानी.
    हौसला बढ़ावे बदे धन्यबाद.
    ए गो बात औरी हो सके त अपन दूरभास नम्बर/मोबाइल नम्बर हमारा के देम.
    युवा कवि/साहित्यकार पर केन्द्रित कर के भोजपुरी जिनगी के अंक सितम्बर मे निकले के बा. राउर फोटो, बायोडाटा और ए गो चाहे दू गो कोई भी रचना/लेख, निवंध, या कहानी. भेज देती.
    सादर
    संतोष पटेल/ 09868152874

  2. फंडिंग के पाछे गला देले होखो
    आपन जवानी
    आखिर बुढ़ापा के खर्चा
    के उठाई
    उ त एन.जी.ओ.के
    फंडिंगे से त आई
    त आव भईया
    मिलजुल के
    एगो एन.जी.ओ. चलावल जाय
    आ आपनो भविष्य सुखद बनावल जाय………..

    संतोष भइया….एकदम यथार्थ लेखन खातिर बहुत-बहुत आभार…तूँ त एनजीओ चलावेवालन के नसिए पकड़ि ले ले बाड़S…हमहुँ…एगो एनजीओ से जुड़ल बानी….हा..हा..हा..हा..हा…

    इ एकदम सँच बा की तहार लेखनी समाज के असली चेहरा देखावतिया…लिखते रहिए…सादर।।

कुछ त कहीं......

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