– ओमप्रकाश अमृतांशु
10 अगस्त 2013 सांझ 5 बजे से श्रीराम भारतीय कला केन्द्र दिल्ली में कविता के भाव गूंजे लागल. कार्यक्रम स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य मे होखत रहे. ताली के गडगडाहट आ वाह-वाह करत, सुनेवाला लोगन के मुंह ना थाकत रहे. कविओ लोग जोश में कविता सुनावे से पाछा ना हटल. एक से बढ के एक कवितन में भरपूर रस समाइल रहे. केहू वीर रस, करुणा त कहू शृंगार रस में श्रोतागण के डुबावत- उतरावत रहे. खचाखच भरल हॉल में कतहीं कहीं बेमतलब आवाज ना. भोजपुरी आ मैथिली के अइसन तालमेल जइसे गंगा-यमुना के संगम. भोजपुरी-मैथिली के फूलवारी मे भाव के फूल खिलखिलात रहे.
भोजपुरी कवि नवल किशोर ‘निशांत’ के कविता गर्भ में पलत बेटी के गोहार –
जनमे से पहिले भइल कवन कसूर,
पापा मारे खातिर काहे मजबूर….
सुनके लोगन के आंख डबडबा गइल. भाव में विभोर लोग छलकत आंसू पोछे लागल. साहित्य अकादमी आ ढ़ेरन पुरस्कार आपन आंचर में सहेज के रखे वाली शेफाली जी मैथिली में आपन भाव उजागर कइली –
हम नारी छी, ई अपराध हमर त ने..
हां हम नारी छी..
संतोष कुमार के कविता देश प्रेम से ओत-प्रोत रहे –
सुनऽ देश पहिले तोहके,
अभिन्नदन भेज रहल बानी
तोहरा पूजन ला हम,
अछत चंदन भेज रहल बानी…
अरविन्द कुमार मैथिली में ‘हमार चेहरा पे हिन्दुस्तान’ त प्रमोद तिवारी भोजपुरी में ‘इकईसवीं सदी में चलल गांव’ देखावे के नीक प्रयास कइलन. सदरे आलम मैथिली में ‘सोन चिरंईया देश हमार/करैछी हम एकरा से प्यार’ सुनवलन त सुनवइया लोगन के सीना तन गइल. भोजपुरी कविइत्री सुभद्रा वीरेन्द्र के गीत आ गजल खूब वाह वाही बटोरलस –
हमरे पढ़े-लिखल, कुछ अउर बात बा.
तहरे प्रीत के पाती, पढ़ल अउर बात बा..
हमरे रहे के जगह के , नाही कमी.
तहरे डेहरी रहल, कुछ अउर बात बा.
अलका सिन्हा के भोजपुरी गीत में देश प्रेम आ आदिवासी दर्द देखे के मिलल –
तीन रंग के झंड़ा आपन,
तीनो रंग के आपन अर्थ बा
लाल किला प फहराई झंड़ा,
देश के मंजर देखलऽ का ?
गले लगइल खुब हुलस के,
पीठ पे खंजर देखलऽ का ?
कार्यक्रम के संचालक मैथिली कवि अजित कुमार ‘आजाद’ के भाव रहे –
गंगो में अवई छे बाढ़
यमुनो में,
कृष्णा-कावेरी में से हो
कतो नाहि आवई छे बाढ़.
एकरा साथे-साथे भोजपुरी के देवकांत पाण्डेय , राम प्रकाश ‘निर्मोही’ आ मैथिली के अरविन्द ठाकुर, कुसुम ठाकुर, मनोज कश्यप , लक्ष्मण झा सागर, श्वाति शाकम्बरी के कविता पाठ लोगन के झूमे पे मजबूर कर देहलस. आखिरी में अघ्यक्ष डा॰ रामाशंकर श्रीवास्तव जी के छिउंकी मिठ-मिठ चिउंटी काटे लागल. हँसावे लागल. गुदगुदावे लागल.
कार्यक्रम के उद्वघाटन प्रो॰ किरण वालिया (भाषा, समाज कल्याण आ महिला बाल विकास मंत्री, दिल्ली) के हाथ से दिया जला के भइल. वालिया जी कहलीं ‘‘भोजपुरी आ मैथिली भाषा में बहुते मिठास बा. भाषा के विकास आपस में बोले चाले से हीं होखेला. रउरा सभे के अथक प्रयास से भोजपुरी- मैथिली अकादमी के गठन भइल.’’ उपाघ्यक्ष अजीत दूबे जी कहलीं – मैथिली भोजपुरी के बहिन हियऽ. बहुत जल्दिए भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता मिल जाई.
राउर बगिया बसंत मुसुकाइल करे!
राउर जिनिगी के दिया जगमगाइल करे!!
kavi sammelan bahuti badhiya rahe
क्या बात है। वह रे भोजपुरी।
कवि सम्मलेन के जीवंत भाव। बहुत अच्छा।
बहुत बहुत आभार अमृतांशु, बेहतरीन रिपोर्ट प्रस्तुत करे खातिर हिरदय से धन्यवाद.
बहुत नीमन .
ढेर सारा धन्यवाद !