फागुन के आसे

by | Mar 24, 2011 | 0 comments

Ram Raksha Mishra Vimal

– रामरक्षा मिश्र विमल

फागुन के आसे
होखे लहलह बिरवाई.

डर ना लागी
बाबा के नवकी बकुली से
अङना दमकी
बबुनी के नन्हकी टिकुली से
कनिया पेन्हि बिअहुती
कउआ के उचराई.
फागुन के आसे
होखे लहलह बिरवाई.
फागुन के आसे
होखे लहलह बिरवाई.

बुढ़वो जोबन राग अलापी
ली अङड़ाई
चशमो के ऊपर
भउजी काजर लगवाई
बुनिया जइसन रसगर
हो जाई मरिचाई.
फागुन के आसे
होखे लहलह बिरवाई.

छउकी आम बने खातिर
अकुलात टिकोरा
दुलहिन मारी आँखि
बोलाई बलम इकोरा
जिनिगी नेह भरल नदिया में
रोज नहाई.
फागुन के आसे
होखे लहलह बिरवाई.

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यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


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anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


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(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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