पिछला 15 मई का दिने पूर्वांचल भोजपुरी महासभा का तरफ से हिन्दी भवन, ग़ाज़ियाबाद में एगो भव्य राष्ट्रीय कवि सम्मेलन आयोजित कइल गइल जवना क सफलता देखा दिहलसि कि भोजपुरी के चाहे वाला पूर्वांचले ना देश के हर कोना में भरल बाड़ें. सुनवइयन से खचाखच भरल हॉल एह बात के गवाह रहल कि भोजपुरी कविता के क्रेज कवनो दोसरा भाषा के कविता से इचिको कम नइखे. भोजपुरी कविता के सहजता आ ठेठ बोली के मिठास से सुनवइया अस विभोर रहलें कि आखिर ले जमल रहलें आ ओह लोगन के ठहाका आ तालियन के गड़गड़ाहट कवि लोग के जोश बढ़ावत रहल.
पूर्वांचल भोजपुरी महासभा के अध्यक्ष अशोक श्रीवास्तव एकर सुन्दर संयोजन कइलन त भोजपुरी के अंतर्राष्ट्रीय कवि आ टीवी एंकर मनोज भावुक अपना मोहक संचालन से झुमावत गइलें. एह कवि सम्मेलन में राजधानी के आस-पास का साथही उत्तर प्रदेश आ बिहारो से आइल कवि शामिल रहलें. एह नामचीन कवियन में डॉ कमलेश राय, डॉ सुभाष यादव, बादशाह प्रेमी, सरोज सिंह, मोहन द्विवेदी, अशोक श्रीवास्तव, मनीष मधुकर, जयशंकर प्रसाद द्विवेदी, पी के सिंह पथिक, विनोद पांडेय, केशव मोहन पांडेय, रश्मि प्रियदर्शिनी आ अनूप पांडेय खास रहलें. मुख्य अतिथि के रूप में ग़ाज़ियाबाद के सिटी मजिस्ट्रेट उपस्थित रहलें आ विशिष्ट अतिथि के रूप में चक्रपाणि जी महाराज, समाजसेवी सागर शर्मा आ सिकंदर यादव के साथही शहर के अनेके खासमखास लोग आइल रहल.
आयोजन के शुरूआत में सम्मेलन में आइल कवियन के आ भोजपुरी भाषा अउर पूर्वांचल के विकास/सहयोग में लागल समाजसेवियन आ उद्द्मियन के सम्मानित कइल गइल. कवि सम्मेलन के शुरूआत सुभाष यादव जी के मधुर वाणी में सरस्वती वंदना से भइल. फेर युवा कवि विनोद पांडेय सामाजिक विसंगतियन पर व्यंग्य करत आपन रचना एक ओ रजहाँ से माहौल के ठहाका से भरवा दिहलन. कुशल संचालक मनोज भावुक अपना मजेदार टिप्पणियन से माहौल के अस रसगर बना देत रहलन कि कवि, कविता आ सनवइआ सभे एक हो जात रहुवे. चार घंटे ले 15 कवियन के सुनला का बादो अउर हो जाय बतलावत रहल कि संचालन कतना नीमन बा.
भोजपुरी कवि सम्मेंलन के मोहकता अपना चरम पर पहुँच गइल जब मोहन द्विवेदी जी आपन सामयिक कविता “ललुआ इंटर पास हो गइल” सुनवलन. आमंत्रित कवियन का साथही संयोजक अशोको श्रीवास्तव जी बेहतरीन काव्यपाठ कइलन. मनोज भावुक जब अपना काव्य-पाठ ला माइक धइलन त ताली रुके के नाम ना लेत रहे. शृंगार आ समाज के अपना ग़ज़लन में पिरो के परोसे के कला जवन भावुक जी देखवलन तवन कमे लोग का लगे लउकेला. ”चाँद-सूरज बनाईं लइकन के, घर में अपने अंजोर हो जाई” जइसन शेर सुनाके भावुक जी सभका के मुग्ध क दिहलन. आखिर में जब मऊ से आइल सुप्रसिद्ध गीतकार डॉ कमलेश राय जी आपन गीत-कलश रखलन त ओकरा बाद कुछ बाकिये ना रह गइल.
रात साढ़े दस बजे संयोजक अशोक श्रीवास्तव जी के धन्यवाद ज्ञापन का साथे आयोजन पूरा भइल तब लागल कि सुनवइया लोग एहिजा से बहुते कुछ लेके जात बा – भोजपुरी बोली क मिठास, ढेरहन प्यार, शब्दन के महक, गीतन के गुनगुनाहट. सचहूं भोजपुरी माटी के खुशबू होखबा अइसन करेले.
(विनोद पांडेय के भेजल रपट का आधार पर)