बनचरी : भोजपुरी में कालजयी उपन्यास

दुर्गम बन पहाड़न का ऊँच-खाल में जिए वाला आदिवासी समाज के सहजता, खुलापन आ बेलाग बेवहार के गँवारू, जंगलीपना भा असभ्यता मानेवाला सभ्य-शिक्षित समृद्ध समाज ओहके शुरुवे से बरोबरी के…

लोक कवि अब गाते नहीं – आखिरी कड़ी

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) बीसवाँ कड़ी में भोजपुरी के दुर्दशा पर लोक कवि के दुख पढ़ले रहीं अब पढ़ीं एह उपन्यास के आखिरी…

लोक कवि अब गाते नहीं – २०

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) अनइसवाँ कड़ी में वकील साहब का फेर मे फँसल ठकुराइन आ धारा ६०४ वाला किस्सा पढ़ले रहीं. अब ओकरा…

लोक कवि अब गाते नहीं – १९

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) अठरहवाँ कड़ी में रउरा पढ़नी कि कइसे मीनू अपना भतार से झगड़ा क के लोक कवि के लगे रखैल…

लोक कवि अब गाते नहीं – १८

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) सतरहवाँ कड़ी में रउरा पढ़त रहलीं मीनू का बारे में. कि कइसे ओकरा गवनई का स्टाइल में लोग आपन…

आवऽ लवटि चलीं जा – (1)

- डा॰अशोक द्विवेदी भाई का डंटला आ झिरिकला से गंगाजी के सिवान छूटल त बीरा बेचैन होके अनासो गांव चौगोठत फिरसु. एने ओने डँउड़िआइ के बगइचा में फेंड़ा तर बइठि…

भोजपुरी उपन्यास "जुगेसर" – 1

- हरेन्द्र कुमार पाण्डेय योगेश्वर नाम रखले रहस उनकर मास्टर चाचा जवन कलकाता में पढ़ावत रहस. स्कूल में भरती का समय राउत जी मास्टर साहेब ठीक (!) कइलन युगेश्वर. लेकिन…

भोजपुरी उपन्यास "जुगेसर" के भूमिका

आदर्श युवक के सम्मोहक प्रेम के सूत्र में बंधल सामाजिक ताना बाना 'जुगेसर' उपन्यास एगो अइसन व्यापक फलक वाला आधुनिक उपन्यास ह जवना में गांव अउर शहर दूनों के सामाजिक…

लोक कवि अब गाते नहीं – १७

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) सोरहवाँ कड़ी में रउरा पढ़ले रहीं कि कइसे आपन दलाली वसूले का फेर में गणेश तिवारी अपने पट्टीदार फौजी…

लोक कवि अब गाते नहीं – १६

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) पन्दरहवाँ कड़ी में रउरा पढ़ले रहीं कि कइसे गणेश तिवारी झूठ के साँच आ साँच के झूठ बनावे का…

लोक कवि अब गाते नहीं – १५

(दयानंद पाण्डेय के लिखल आ प्रकाशित हिन्दी उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) चउदहवाँ कड़ी में रउरा पढ़ले रहीं कि गोपाल पंडित के बेटी के बिआह खातिर लोक कवि रुपिया त दे…

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