भारतीय जनसंघ से ले के भारतीय जनता पार्टी बने ले एह गोल के तीन गो खास वादा हमेशा जनता का सोझा रहल कि –
1) संवैधानिक तरीका से भा सहमति बना के श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य श्रीराम मन्दिर बनावल जाई.
2) जम्मू कश्मीर के देश से अलग हैसियत देबेवाली धारा 370 के हटावल जाई. एक देश में दू गो विधान ना चले के चाहीं आ
3) देश के सगरी नागरिकन के समान नागरिक संहिता का तहत ले आवल जाई.
पहिले त खुलेआम धमकी दीहल जात रहुवे कि केकरा बाप के मजाल कि बाबरी मस्जिद का जगहा पर मन्दिर बना लेव. जइसे पाकिस्तान के परमाणु बम का डरे देश के डेरावल जात रहुवे कि पाकिस्तान से पंगा ना लीहल जा सके काहे कि ओकरा लगे परमाणु बम बा. त भव्य श्रीराम मन्दिर बने के वादा सबले पहिले पूरा भइल. आ पाकिस्तान में घुस के आतंकी अड्डा के हवाई हमला से तबाह कर दीहल गइल. पाकिस्तान के बम धइले रहि गइल.
ओकरा बाद चुनौती दीहल जात रहुवे कि जम्मू कश्मीर से धारा 370 के प्रावधान हटावले ना जा सके चाहे नरेन्द्र मोदी सात बेर जनम ले लेसु. अगर हटावल गइल त जम्मू कश्मीर के धरती के खून से लाल कर दीहल जाई आ पूरा घाटी में एगो हाथ ना मिली जवन तिरंगा थाम सके. त उहो हो गइल. देशद्रोही तमाम कोशिश कइलें कि कवनो तरह से एकरा के दुबारा लागू करवा दीहल जाव. कुछ लोग सुप्रीमकोर्ट में अरजी लगावल आ सुप्रीमो कोर्ट एगो संवैधानिक पीठ बना के एह पर पूरा सुनवाई कइलसि आ कह दिहलसि कि धारा 370 हटावे के सगरी काम संविधान सम्मत रहल.
अब बाचल तिसरका वादा – समान नागरिक संहिता के. एकरो ला धमकी दिआत रहल कि केकरा बाप के मजाल कि सभका पर एके कानून लगवा सके. बाकिर आजु इहो वादा पूरा होखे का राह पर चल निकलल बा. उत्तराखंड सरकार आजु विधानसभा में समान नागरिक संहिता लागू करे वाला मसौदा पेश कर दिहलसि. अब एह पर बहस होखी आ भाजपा के बहुमत बड़ले बा से विधेयक पारितो हो जाई. आ ई काम चुनाव से पहिले हो जाई.
आजादी का बाद देश के संविधान उमेद जतवले रहुवे कि एहिजा के सरकार सगरी नागरिकन ला समान नागरिक संहिता लागू करावे का दिसाईं प्रयास करी आ जल्दिए देश में समान नागरिक संहिता लागू हो जाई.
त आजादी से पहिले से सिर्फ गोवा में सगरी नागरिकन ला एगो समान नागरिक संहिता लागू रहुवे जवन सभका पर – हिन्दू मुसलमान सिक्ख ईसाई बौद्ध जैन – पर समान रुप से लागू बावे. बाकिर देश के दोसरा कवनो राज्य में अइसनका कानून नइखे बनल. आजादी का बाद कई दशकन ले कांग्रेसी सरकार रहल, ऊ त बस हिन्दूवन ला कानून आ कोडबिल बनावल जानत रहुवे, दोसरा कवनो रिलीजन ला ना. ओकरा बाद दोसरो गोलन के सरकार बनल बाकिर वोट बैंक के उहे मजबूरी ओहू लोग के एह दिसाईं काम ना करे दिहलसि. बरीस 2014 में पहिला बेर अइसन सरकार आईल जवना में बेंवतो रहल आ निष्ठो कि ई काम देर सबेर कर दीहल जाव. कुछ दिन ले त बहस में लटकावल गइल कि ई राज्य सरकार के अधिकार में आवेला कि केन्द्र सरकार के. एह बहस के तार्किक परिणति अबहीं ले नइखे भइल. बाकिर उत्तराखंड सरकार एकर विधेयक पेश कर के मुर्गियन का बाड़ा में बिलाई छोड़ दिहलसि. काँव-काँव मच गइल बा.
भाजपा के रणनीति इहे बा कि पहिले एकरा के एगो राज्य में लागू करवा के देखल जाव टेस्ट बैलून का तरह. ओकरा बाद जवन बहस आ कुकुरहट मची तवना से देखल जाई कि एकरा पर आगे बढ़ल जा सकेला कि ना. स्वाभाविक बा कि भाजपा के एह रणनीति में सहायता चहुँपावे खातिर सगरी विपक्ष गोल आ मुस्लिम परसनल लॉ बोर्ड नाम के एनजीओ एकरा के न्यायालय में चुनौती देबे करी. देखल जाव कि शुरुआत हाई कोर्ट से होखत बा कि सीधे सुप्रीमकोर्ट से. हम त चाहब कि सीधे सुप्रीमे कोर्ट में मामिला पर बहस हो जाव. तय बा कि ओहिजा एगो संवैधानिक पीठ बना दीहल जाई जवन कुछेक साल में समय निकाल ली एह पर सुनवाई करे के. तबले एह विवाद में लोकसभा 2024 चुनाव निपट जाई आ जबले फैसला आई तबले लोकसभा 2029 के मौका आ जाई. चित भी मेरी, पट भी मेरी आ अंटा हमरा बाप के !
खतम करे से पहिले आईं एह विधेयक के कुछ खास बिन्दुवन के जानकारी ले लीहल जाव.
सु्प्रीम कोर्ट के एगो अवकाशप्राप्त न्यायाधीश रंजना प्रकाश देसाई का नेतृत्व में बनल आयो करीब साढ़े सात सौ पृष्ठ के एगो मसौदा तैयार कइले बावे. एह मसौदा ला नाहियो त दू लाख तैंतीस हजार से बेसी सलाह लिखित में मिलल रहुवे आ करीब साठ हजार लोग से सीधे बातचीत कइल गइल.
एह विधेयक में प्रावधान बा कि कवनो मरद भा मेहरारू बिना पहिलका विवाह विच्छेद करवले नया विवाह ना कर पाई. हर विवाह के पंजीकृत करवावे के पड़ी. विवाह के उमिर सभका ला एक बराबर रही. विवाह विच्छेद के प्रक्रियो सभका ला एक जइसन होखी. संपति में उत्तराधिकार, जमीन जायदाद के स्वामित्व, गोद लेबे के अधिकार, गोद लीहल गइल बचवन के अधिकार सभका ला एके जइसन रही.
आजुकाल्हु के नयका फैशनो – बिना विवाह कइलहीं साथे रहे के – पर कुल्हाड़ी चला दीहल गइल बा. अब अइसन करे से पहिले दुनु के अपना अपना परिवार के एकर जानकारी देबे के पड़ी आ एकरो के पंजीकृत करवावे के पड़ी. एरा चलते तरह तरह के बलात्कार के मामिलो कम हो जाई.
एह विधेयक मेंं अबहीं जनसंख्या काबू करे के उपाय नइखे जोट़ल गइल. साथही राज्य के करीब तीन फीसदी आदिवासियन के फिलहाल एह विधेयक का दायरा से बाहर राखल गइल बा. ना त बहुते लोग आदिवासियने का कान्हु पर बंदूक राख के सरकार पर निशाना साधे का ताक में रहले हँ. ओहू लोग के आशा पर पत्थर पड़ गइल बा.
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