ई एगो बड़हन सवाल बा. आ एकर जवाब कवनो एक आदमी ना दे सके. एहसे ई सवाल रउरा सभका सोझा राखत बिया अँजोरिया कि एह सवाल के जवाब खोजल जाव. रउरा सभे से निहोरा बा कि आपन राय विस्तार से अँजोरिया के भेजीं, एहिजा छोटहन कमेंट दे के ना. सभकर सलाह से हो सकेला कि मिला जुला के एगो अइसन राह निकल सके जवना से भोजपुरी जिए!
जिए भोजपुरी!
ए सवाल के जबाब देहल आसान नइखे। काहेंकि इ बहुत गंभीर मुद्दा बा…पर हाँ अगर भोजपुरी के कथित कर्णधार लोग वास्तविक रूप से भोजपुरी के विकास के मद्दा राखित लोग त सायद इ सवाले ना उठित।
खैर….सबसे पहिले भोजपुरी संबंधित संस्थन के आगे आ के ए पर विचार कइले के ताक बा अउर एक जुट होके एगो मिसन चला के भोजपुरी छेत्र के राजनीतिक, सामाजिक, धार्मिक, फिल्मी अगुअन से ओ लोगन की सहयोग से कुछ एइसन होखे के चाहीं की भोजपुरी के समर्थन दिल से मिलो…जवने दिन लोग अपनी स्वार्थ से ऊपर उठि के भोजपुरी के बात करे लागी…ओ ही दिने ए सवाल के जबाब अउर हल दुनु मिल जाई..फेरु भोजपुरी उपेक्षित ना रही…हमार इ कहनाम बा कि खाई-कमाई-लाभ उठाईं पर भोजपुरियो के फायदा पहुँचाई।। सादर।।