राघव मास्टर

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 16वी प्रस्तुति) – गिरिजा शंकर राय ‘गिरिजेश’ गांव में प्राइमरी स्कूल खुलते चारो ओर खुशी के वातावरण छा गइल. एकरा ले…

दू गो छोटहन कहानी

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 14वी प्रस्तुति) – राजगुप्त (एक) पान खइनी, गुटका-गुटकी ट्रेन अपना रफ्तार से दउड़त रहे. गर्मी के दिन ऊपर से बहुते भीड़ि…

अनबोलता अँखियन के सवाल

(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 13वी प्रस्तुति) – कृपाशंकर प्रसाद प्रकाश आ हम कइ बेरि होटल में संगे संगे होटलियवले रहनी जा। जब मांसाहार करे के…

पेंचर पहुना

– प्रभाकर पाण्डेय “गोपालपुरिया” कल्हिए रमेसर काका एगो टाली के परची दे गइल रहुअन. ऊँखी छिलवावे के रहुए ए से आजु सबेरवें ऊँखी छिलवावे खातिर पूरा गाँव की लोग के…

भोजपुरी के सेवा में

भोजपुरी जिनिगी अपना चउथका साल में नाम बदल लिहले बा. अब एकर नाम हो गइल बा “भोजपुरी जिंदगी. नयका अंक में पत्रिका के संपादक उहे बाति लिखले बाड़न जवन आजु…

अलम्म

– रामरक्षा मिश्र विमल भिनसहरा, करीब तीन बजे. साफ-साफ मुँह अभी नइखे चिन्हात केहूँ के अँजोरो. चन्दा आपन लुग्गा-फाटा बन्हली मोटरी अस आ कान्ही प धइके निकलि गइली पिछुवारी मिहें.…

धूर

– चौधरी कन्हैया प्रसाद सिंह “आरोही” गाँव का दक्खिन पश्चिम का कोना पर एगो विशाल कोठीनुमा मकान बा. ओह पर लिखल त बा श्रीराम भवन बाकिर दसई भवन का नाम…

आजु पहिली तारीख हऽ

– प्रभाकर पाण्डेय “गोपालपुरिया” रातिभर दुनु परानी सुति ना पउवींजा. करवट बदलत अउर एन्ने-ओन्ने के बाति करत कब बिहान हो गउए, पते ना चलुवे. सबेरे उठते मलिकाइन चाय बना के…

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