भउजी हो ! ए-सोशल बनावत सोशल मीडिया

by | Jul 22, 2023 | 0 comments

भउजी हो !
का बबुआ ?
तू सोशल मीडिया पर काहें ना आव ?
रउरे चलते !
हमरा चलते ?
हँ, रउरे चलते. सोचीं, अगर हमरा लगे मोबाइल रहीत आ ओहमें राउर सोशल मीडियो रहीत, त का होखीत. रोज सबेरे हमहूं उठ के ओहपर सवार हो जइतीं. एने से आइल फोटो ओने, आ ओने से आइल फोटो एने पठावत रहतीं. रउरो भोरे उठिके हमरा के गुड मॉर्निंग आ सूते बेरा गुड नाइट बोलि के पटा जइतीं. हमरा लगे चाय पिए आवे के जरुरते ना रहीत. काहें कि रउरा चाय पिए ना, भेंट करे आइलें. चयवा त कनिअवो हमरा से बढ़िया बनावेले. इहे सब सोचि के हम मोबाइले राखे के झंझट ना रखनी. आ घर में हर सवाङ का लगे त मोबाइल बड़ले बा. केहू ना केहू त हमेशा घर पर रहबे करेला.
ई त बड़ा जोरदार बतवलू.
आ दोसरे एह सोशल मीडिया का चलते आदमी कतना ए-सोशल हो गइल बा. सोचिलें कबो घर में अब बइठका राखले बेकार लागे लागल बा. ना त केहू आवेला, ना केहू किहां जाए के जरुरत लागेला, अब त नेवतो-हकारी लोग सोशले मीडिया का जरिए कर लेता. आ जे केहू आइबो करेला ऊ अपना घरे-परिवार, नाता-रिश्तेदारी के होला. ओह लोग के त सीधे चुहानी ले आ जाए में रोक ना होखे. तब घर में बइठका रखला के का जरुरत ?
ठीक कहलू ह भउजी. हमहूं अब कोशिश करब कि नात-रिश्तेदारी, हित-मीत किहां आवेृ-जाए के सोचब. बाकिर एहि पर एगो पुरान घटना इयाद आ गइल.
कवन ?
कई बरीस से गाँवे जाए के मौका भा जरुरते ना बुझाइल रहे. ओह साल फगुआ का मौका पर हम गाँवे गइल रहीं. चाचा रहलन. भोरे धूर-खेल का बेरा कहनी कि चलीं ना गाँव में घूमल जाव. कहलन कि अब केहू कहीं आवत-जात नइखे. महटिआवऽ. बाकिर हमरा से महटिआवल पार ना लागल. ओह बेरा त ना बाकिर दुपहरिआ में सती स्थान पर चहूँप गइनी. दू तीन लोग ढोलक-झाल लिहले फगुआ गावे के रस्म पूरावत रहल. हमहूं शामिल हो गइनी. कुछ देर में कहनीं कि चलीं ना अब गाँव में घूम लीहल जाव. कहल लोग कि अब गाँव में फगुआ-गोल नइखे घूमत. बाकिर हमरा कहला पर लोग चल दीहल बाति मानि के. गँवे-गँवे लोग शामिल होत गइल आ हमनी के पूरा गाँव के हर घर-दुआर पर घूम लिहनी सँ, बहुते लोग अचरज में पड़ जाव आ असहजो हो जाव लोग. काहें कि केहू किहां गड़ी-छोहाड़ा शरबत के इंतजामे ना रहल. सभे निफिकर रहे कि के आवे वाला बा !
अब त बबुआ गाँव-गाँव के इहे हाल हो गइल बा. सबले बड़का बाति ई बा कि गाँव में अब नवही लउकबे ना करसु, सभे या त पढ़ाई करे भा नौकरी करे बाहर चलि जात बा. गाँव में रह जात बाड़ें कुछ बुढ़वा-बुढ़िया, कुछ औरत आ नन्हका-नन्हकी.  
ठीक कहतारू भउजी. बाकिर अब ई मसला हल नइखे होखे बाला. बेमारी अतना बढ़ि गइल बा कि आगे के सोचिए के मन काँप जात बा.
चलीं. मन मत कँपाईं, चाय पीहिं. आ अब मत पूछब कि हम सोशल मीडिया पर काहें ना आईं.

 

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

हेल्थ इन्श्योरेंस करे वाला संस्था बहुते बाड़ी सँ बाकिर स्टार हेल्थ एह मामिला में लाजवाब बा, ई हम अपना निजी अनुभव से बतावतानी. अधिका जानकारी ला स्टार हेल्थ से संपर्क करीं.
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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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