भोजपुरी पंचायत अगस्त २०१३ के अंक पिछलके हफ्ता आ गइल रहुवे हमरा मेलबाक्स में बाकिर कुछ अउरी काम में अझुराइल रहला का चलते अकर जानकारी देबे में तनी देर हो गइल बा. अबले के जवन हमार अनुभव रहल बा तवना हिसाब से भोजपुरी पंचायत के प्रकाशन नियमित होत आवत बा. शायद एकर सबले बड़का कारण बा कि ई भोजपुरी में ना होके भोजपुरिया लोगन के हिंदी पत्रिका हिय. हमेशा का तरह आजुओ हम एह पत्रिका में प्रकाशित भोजपुरी सामग्रिए के चरचा करब आ एह दिसाईं मौजूदा राजनीति पर तंज कसत प्रभाकर पाण्डेय के लेख “…करऽ हड़ताल मोरे बबुआ” नीक लागल. सवाद अउरी बढ़िया रहल रहीत अगर अंत में उपदेशात्मक उपसंहार ना भइल रहीत. एकरा बाद आगा बढ़नी त पटना में पिछला महीना भइल अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव के जानकारी वाला लेख खास कर के एहला सूचनापरक लागल कि एहमें सगरी सम्मानित लोगन का बारे में थोड़ बहुत जानकारी दिहल गइल बा. रोहतास के डेढ़गाँव में जनमल चित्रकार आ लेखको भुनेश्वर भास्कर के परिचय बतावत ओमप्रकाश अमृतांशु के लेख भोजपुरी में पढ़ के बढ़िया लागल. ना त भोजपुरी के महारथीओ लोग के साक्षात्कार पिछला बेरी हिंदीए में छपल रहुवे. अबकीओ का अंक में बिहार भोजपुरी अकादमी के अध्यक्ष डा॰ रविकांन्त दूबे कुछ भोजपुरी किताबन का बारे में जानकारी दिहले बानी. उहाँ के लिखल लेख अउरी प्रशंसनीय रहीत अगर उहाँके खुद का कार्यकाल में बिहार भोजपुरी अकादमी से प्रकाशित साहित्य, पत्रिका भा किताबन के जानकारी दिहल रहीत. बाबा का दुअरा हथिसार रहुवे से अधिका जरूरी बा अपना गराज में खड़ा गाड़ी मोटरसाइकिल का बारे में बतियावल. मारीशस के साहित्यकार धनराज शंभु के कविता नीक लागल. आगहूं उमेद करब कि विदेश में भोजपुरी के सिरजनहार लोग के रचना मिलत रही पढ़े गुने ला. भोजपुरी के मशहूर आ बहुचर्चित गीतकार आ गवइया महेन्दर मिसिर का बारे में लेखो छपल बा अबकी का अंक में.
भोजपुरी सिनेमा से मिलल प्रशंसापरक पीआर मेटेरियल का अलावे मधूप कुमार आ हेमन्त सम्राट के लिखल खबर खास कर के खास लागल कि जरूरी बा कि भोजपुरी सिनेमा के खाली खबरे ना दिहल जाव, ओकर खबरो लिहल जाव. काहे कि अब अगर भोजपुरी सिनेमा इंडस्ट्री पर दया देखावल गइल त मामिला अउरी बिगड़ जाई. उमीद कइल जाव कि एह तरह के अउरीओ जानकारी अगिला अंकन में मिलल करी.
– संपादक, अँजोरिया समूह
अमृतांशु जी, गलती देखावे ला धन्यवाद. गलती सुधारियो दिहले बानी.
संपादक जी नमस्कार ,
भोजपुरी पंचायत के समीक्षा नीमन लागल .एगो चुक हो गइल बा -” आरा के बड़गाँवा ” के जगह पर “रोहतास के डेढ़ गाँव ” होई .