– भगवती प्रसाद द्विवेदी

BhagawatiPdDvivedi
भोजपुरी में लोकगायकी के एगो लमहर, निठाह आ बड़ा सुघर परम्परा रहल बा. खाली पचीस-तीस करोड़ भोजपुरी बोले वाला लोगने में ना, बलुक देश-विदेश के अउर दीगर भाषा बोलनिहारनों के बीच में भोजपुरी गीत गवनई के धूम शुरूए से मचत रहल बा. अब त एकर शोहरत रोज नया-नया ऊँचाई छू रहल बा. भोजपुरी फिलिम आ लोकगीत के सीड़ी, कैसेटन के बाढ़ एकर जीयत-जागत आ तरोताजा गवाह बा. ना खाली उत्तरप्रद श् े ा, बिहार, झारखंड, मध्यप्रद श् े ा, छत्तीसगढ़ के सीमा आ कोलकाता, मुंबई, दिल्ली जइसन महानगरन में, बलुक मारीशस, फीजी, सूरीनाम, टिंनीडाड, ब्रिटिश गियाना, हालैण्ड, नीदरलैंड, नेपाल वगैरह देशनों में भोजपुरी गीतन के सरसता आ सुर-ताल नित नया रिकार्ड बना रहल बा. कोठा से क्रांति ले आ घर-अंगना, खेत-खलिहान से लड़ाई के मैदान ले- सभ जगहा समान रूप से एकर संदर्भ आ शोहरत बा. चाहे आजादी के लड़ाई में क्रांतिकारी लोगन का बीचे रघुवीर नारायन के ‘बटोहिया’ गीत होखे, तमाम कोठन पर गूंजन महेन्दर मिसिर के पूरबी के मनमोहक धुन होखे भा नाच-मंडली आ मंचन प भिखारी ठाकुर के ‘बिदेसिया’ के मरमभेदी सुरलहरी – भोजपुरी माटी के सोन्ह-सोन्ह गमक से रचल-बसल ई गीत जन-जन के कंठहार बनि गइल बाड़न स.

ई त भइल सिक्का के एगो पहलू. दोसर पच्छ ई बा कि आजकाल्ह भोजपुरी गायकी अश्लीलता आ भो ड ं ापन के पर्याय बनि के रहि गइल बा. एह से भोजपुरी के इज्जत आ अस्मिता दांव प लागल बा. पइसा बनावे के होड़ में भोजपुरी फिलिम आ कैसेट कंपनी एह फूहड़पन के हवा दे रहल बाड़ी स. भोजपुरी भाषा-भाषियन के भावना का संगे खेलवाड़ करेवाला आज कई गो अइसन गायक-गायिका बाड़न, जे फूहड़, अश्लील आ दुअर्थी गीत गा-बजा के माहौल के लगातार प्रदूषित क रहल बाड़न.

सबसे पहिले गीतकार मोती बी-ए. फिलिम ‘नदिया के पार’ (पुरनकी) में सात गो भोजपुरी गीत 1944 में लिखलीं आ भोजपुरी गीतन के फिलिम मंे दाखिला
दियवलीं. ओह गीतन के लोकप्रियता भोजपुरी फिलिम के निरमान के दिसाईं फिलिमकारन के धियान खिंचलस. फेरु त ‘गंगा मइया तोहे पियरी चढ़इबों’,‘लागी नाहीं छूटे राम’ फिलिमन के गीत जनमानस प छा गइल. भोजपुरी गीतन के शोहरत के भुनावे खातिर कैसेट कंपनी आगा अइली स आ पारम्परिक अउर पीढ़ी-दर पीढ़ी चलत आइल लोकगीतन के आपन मधुर आ मनमोहक आवाज देके लोकगायक लोग सुननिहार के झूमे खातिर अलचार क दिहल. मोहम्मद खलील जइसन गायक ‘सुमीरिले सारदा भवानी, पत राखीं महरानी’ (भोलानाथ गहमरी) नियर गीतन के गाके अमर क दिहलन.

बाकिर चं द गायकन के छोड़िके अधिकतर लोग पइसा कमाये खातिर अश्लीलता आ फूहड़ता के मए सीमा लांघि गइल बा. आज स्थिति ई बा कि भोजपुरी में दूगो माने राखेवाला गीतन के भरमार बा अइसने गीत होटल, बस, टंक, चाह-पान के गुमटी आ दोकानन में धड़ल्ले से बाजत बाड़न स. कैसेट-सीडी कंपनी के मालिक अइसने करेलन आ उहो लोग सस्ती लोकप्रियाता पावे खातिर अइसने फूहर आ दूगो अरथ वाला गीत चुनेला. भोजपुरी गीत के सीडी-कैसेट में आजकाल्ह कई तरह के घपलो हो रहल बा. एह लोकभाषा के बढ़त लोकप्रियता के लखि के दोसरो भाषा के गीत भोजपुरी गीत के नांव प जारी क दिहल जाता. नतीजतन मगही, मैथिली, अंगिका, बज्जिका के गीतो भोजपुरिए गीत कहा रहल बा. सदियन से गवात आइल कुछ लोक प्रचलित पारम्परिक गीतो के भाई लोग आपन मौलिक गीत घोषित क देले बाड़न. स्थिति ई बा कि कवनो दिवंगत गीतकार के गीत कवनो नया गीतकार के नाँव से कैसेट में डालि दिहल जाता. अधिकतर कैसेट कंपनी गायक-गायिका से अनुबंध करेली स आ एकमुश्त रकम गायके के दे देली स, जवना में साजिन्दा आ गीतकारो के हिस्सा होला, गायक साज-बाज वालन के हिस्सा त दे देलन, बाकिर गीतकार के हिस्सा खुदे हजम क जालन. हं, चंद गायक एकर अपवाद जरूर बाड़न. पहिले कैसेट का ऊपर गीत के मुखड़ा आ गीतकार के नांव छपत रहे, बाकिर अब अधिकतर कंपनी गीतकार के नांवों ऊपर छापल बंद क देले बाड़ी स. फेरु त ओह लोग ना त नांवे मिलता, ना पइसे.

आज जरूरत बात के बा कि अश्लील गायन करे वाला गायकन के सामाजिक बहिष्कार कइल जाउ आ पत्र-पत्रिकन, मीडिया आ गोष्ठी-सम्मेलन में अइसना लोग का प्रति निंदा-प्रस्ताव पारित कइल जाउ. अश्लील, फूहर-पातर गायकी का खिलाफ आन्दोलन चलावे के सख्त जरूरत बा. समाज में गायकी के नांव पर अइसन जहर घोरि के प्रदूषन फइलावे वाला गायक, गीतकार आ कैसेट कंपनी का खिलाफ जब ले कमर कसि के कानूनी आ आन्दोलनात्मक कड़ा रुख ना अपनावल जाई आ जब ले स्वस्थ-स्तरीय गीत-गायकी के पुरस्कृत-सम्मानित ना कइल जाई, तब ले भोजपुरी साहित्य-संस्कृति के अस्मिता दांव प लागले रही.
(भोजपुरी दिशाबोध के पत्रिका ‘पाती के 78 वां अंक’ से साभार)


पो. बाक्स -115, पटना-800 001

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One thought on “अश्लील गायकी आ भोजपुरी के अस्मिता”
  1. मन के पीरा मन में बाटे ,
    कुछउ कहल जात ना बाटे ,
    हमारा माई भासा के कुलबोरना ,
    नग्न धडंग दिखावट बाटे ,
    एक कदम हम बढ़ावत बानी ,
    अब रउआ लोग भी बढ़ाई ,
    ई ससुरान के जात दिखा दी ,
    सब कुछ बंद करवाई।

कुछ त कहीं......

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