मॉरीशस : आपन बोली-आपन लोग

by | Oct 27, 2014 | 1 comment

– मनोज श्रीवास्तव

ManojSrivastava
केहू के जब आपन खाली घर-दुआर आ आपन गाँव जवार छुटेला त मन केतना भारी हो जाला आ तब त आपन देसे छुटल रहे. ओह घरी कवनो सुख से केहू आपन घर-दुआर, गाँव-जवार भा देसे छोड़ के परदेस थोड़े गइल रहे लोग. खाली अपना परिवार के जीवन भरन आ सुख सुविधा के कारन मजबूर होके, आँखि में लोर से भरल दरिया लेके गिरमिटिया मजदूर बनि के मॉरीशस के माटी पर आजु से एक सय अस्सी बरीस पहिले 12 नवम्बर, 1834 के आपन डेग धइले रहे लोग. अपना जांगर से कवनो काम ठेठावे में माहिर यूपी-बिहार के लोग के जब अंगरेज लोग ऊंख के खेती करावे खातिर झूठ-साँच बोलि के हिन्द महासागर में मउजूद एगा छोट टापू पर ले गइल रहे लोग. जेकरा के लोग मॉरीशस कहेला.

कोलकत्ता के भवानीपुर घाट आ मॉरीशस के कुली घाट (प्रवाीसी घाट) आजुओ इहे ईयाद दिआवेला कि गिरमिटिया मजदूर के पहिला खेप कइसे पानी के जहाज से भवानीपुर घाट से चलि के कवना दुख मुसीबत से कुली धाट ले चहुँपल रहे. तब से लेके आजु तक ‘कलकत्ता से छुटल जहाज पवरिया धीरे चलो’ जइसन गीत ना खाली ई ईयाद दिआवेला कि देस छोड़ के परदेस के जात्रा कइसे भइल, बलुक एह गीत में आपन संस्कृति, आपन ग्रन्थ गीता-रामायन आ मन के पीड़ो साफा लउकेला.

अपना मेहनत आ लगन से काम करे में माहिर गिरमिटिया मजदूर बनि क गइल भोजपुरिया लोग मॉरीशस के धरती के अइसन सवारल लोग कि आजुओ अपना पुरूखन के जांगर से फले-फूले वाला मॉरीशस के नाँव के आगे से परदेस जइसन बात खतमे हो गइल. मजदूर का रूप में आइल लोग के पर-परिवार अतना तरक्की कइलस कि आजु सरकार ले चहुँप गइल लोग. जदी कहल जाव कि मॉरीशस एगो छोट हिन्दुस्तान ह त कवनो बेजाँय ना होखी.

आपन परम्परा, आपन सस्कृति, आपन बोली के सहेज के राखे वाला आपन लोग मॉरीशस के घरती के सरग जइसन रखले बा. उहाँ एही लगाव के चलते सभ परब-तेवहार सभ मिलके घूमधाम से मनावेला. एकरा अलावे हर साल 2 नवम्बर क दिन, जवना दिने आपन लोग मॉरीशस में पहिलका हाली डेग धइले रहे. लोग ओह दिन के भोजपुरी दिवस के रूप में मनावेला लोग. अतने भर ना मॉरीशस में भोजपुरी के भासा के दरजो मिलल बा. भोजपुरी के प्रचार-प्रसार खाली अपने देस में ना बलुक दोसरो देस में करे के दिसाई उहाँ के लोग हमेशा मन से लागल रहेला. भोजपुरी के बढन्ती खातिर मॉरीशस भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन क जोगदान के कवनो तारीफ कइल जाव, उ कम बा.

भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन के नाँव से एगो अलगे पहचान बनावे वाला मॉरीशस गणराज्य संसार के भोजपुरिया लोग खातिर एगो मिसाल आ गरब के बात बा. गिरमिटिया मजदूरन के मॉरीशस के धरती पर अइला के एक सय अस्सी बरीस पूरा भइला पर स्मरणोत्सव सरूप 30 अक्टूबर से 5 नवम्बर ले आयोजित अन्तर्राष्ठ्रीय भोजपुरी महोत्सव आ कार्यक्रम में कय देसन के भोजपुरिया साहित्यकारन, लेखकन, पत्रकारन अउरी विभिन्न विद्या के लोगन के जुटान जरूर एगो नवका आयाम गढ़ी, एह में कउनो शक नइखे.


(भोजपुरी पंचायत के नवम्बर 2014 अंक से साभार)

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1 Comment

  1. amritanshuom

    जय जय भोजपुरी….. बहुत बहुत बाधाई…..

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

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