हमार भारतीय नववर्ष

by | Jan 2, 2024 | 0 comments

– परमानंद पाण्डेय

स्वामी विवेकानन्द जी कहले रहलीं की अगर हमके गौरव से जीयलें क भाव जगवावे क बा, त हमके अपने अन्तर्मन में राष्ट्र भक्ति क बीज के पल्लवित करे क होई, तबे राष्ट्रीय तिथि क आश्रय लेवे क होई.

ग़ुलाम बनाए रखे वाले परकीयन क दिनांक पर आश्रित रहे वाला व्यवहार बदले क होई. भारतीय तिथि हमरे मन में ई उद्घोष जगावेला कि हम धरती माई क पुत्र हईं, सूर्य चंद्र अउर नवग्रह हमार आधार ह. प्राणी मात्र हमरे परिवारिक सदस्य हउए तबे हमरे संस्कृति क बोध’ वसुधैव कुटुंबकम्’ क सार्थक्य सिद्ध होई.

ध्यान रहे कि सामाजिक विकृतिए भारतीय जीवन में दोस अउर रोग भर दिहले बा, जवना चलते कमज़ोर राष्ट्र के भू-भाग पर परकीय, परधर्मिकीय आक्रमण क के हम सभ के ग़ुलाम बना दीहले बा.

एही से सदियन से पराधीनता क पीड़ा झेले क पड़ल रहल. पराधीनता के कारन जवने मानसिकता क विकास भइल ओसे हमरे राष्ट्रीय भाव क क्षय हो गइल अउर समाज में व्यक्तिवाद, भय अउर निराशा क संचार होखे लागल.

जवने समाज में भगवान् श्रीराम, श्रीकृष्ण, बुद्ध, महावीर, नानक अउर अनेकेनेक ऋषि – मुनि लोगन क आविर्भाव भइल, जवने धरा-धाम पर परशुराम, वाल्मीकि, वशिष्ठ, भीष्म अउर चाणक्य जइसन दिव्य पुरुषयन क जन्म भइल, जहवां परमप्रतापी महाराज अउर सम्राटन क श्रृंखला क गौरवशाली इतिहास निर्मित भइल, उहवां क गौरवशाली परंपरे हमार वास्तविक हित कर सकी.

भारतीय सांस्कृतिक जीवन क विक्रमी संवत् से गहरा नाता ह. भारतीय नववर्ष चइत मास के शुक्ल पक्ष क प्रतिपदा के मनावल जाला. जेके विक्रमी संवत् क नया दिवसो कहल जाला.

हमार संस्कृतिए हमार गौरव ह

अइसने पूर्व प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई के जब केहू एक जनवरी के नववर्ष क बधाई दीहलसि त ऊ उत्तर दीहले रहलें कि कवने बात क बधाई बा? हमरे देश अउर देश के सम्मान क त ए नववर्ष से कवन सम्बन्ध नाहीं बा, अउरी न कबो रही.

इहे बात हम लोगनो के समुझावे क अउर समुझे क होई कि का एक जनवरी के साथे अइसन एकहू प्रसंग जुड़ल बा, जवने से राष्ट्र प्रेम जाग सकेला ?

न त ऋतु बदलल.. न मौसम
न त कक्षा बदलल… न सत्र
न त फसल बदलल…न खेती
न त पेड़ पउधन क रंगत न सूरज चाँदा सितारन क दिशा, न ही नक्षत्र !

ईस्वी संवत क नया वर्ष 1 जनवरी के अउर भारतीय नववर्ष (विक्रमी संवत) चइत शुक्ल प्रतिपदा के मनावल जाला. आईं देखल जाव कि दुनों क तुलनात्मक अंतर का होला –

  1. प्रकृति – 1 जनवरी के कवनों अंतर नाही ह जइसन दिसम्बर वइसने जनवरी! चइत मास में चारो तरफ फूल खिल जाला, पेड़न पर नया पत्ता आ जाला, चारो तरफ हरियाली यानी कि जइसे प्रकृतिओ नया साल मनावत होखे !
  2. वस्त्र – दिसम्बर अउर जनवरी में उहे वस्त्र, कंबल, रजाई, ठिठुरत हाथ अउर पैर ! चइत मास में सर्दी जा रहत होला, गर्मी क आगमन होखेवाला रहेला.

  3. विद्यालय क नया सत्र – दिसंबर जनवरी में उहे कक्षा, उहे सत्र, कुछ नया नाहीं.. जबकि मार्च अप्रैल में स्कूलन क रिजल्ट आवेला, नया कक्षा नया सत्र यानि कि विद्यालयनो में नया वर्ष.

  4. नया वित्तीय वर्ष – वर्ष दिसम्बर-जनबरी में कवनों खाता क बन्दिओ नाही होला.. जबकि 31 मार्च के बैंक क आडिट होला, कलोजिंग होला, नया बही खाता खोलल जाला. सरकारी कार्यालयनो में काम काज क नया सत्र शुरू होला.

  5. कलैण्डर – जनवरी में नया कलैण्डर आवेला.. चइत में नया पंचांग आवेला ! ओही से सभ भारतीय पर्व, विवाह अउर अन्य महूर्त देखल जाला. एकरे बिना हिन्दू समाज के जीबन क कल्पनो नाही कइल सकल जात ह, एतना महत्वपूर्ण ह, इ चइत क कैलेंडर यानि पंचांग !

  6. किसाननो खातिर नवका वर्ष – दिसंबर जनवरी में खेतन में उहे फसल होला.. जबकि मार्च-अप्रैल में फसल कटेला नया अनाज घर में आवेला, त किसाननो क नया वर्ष अउर नया उत्साहो चइते में होला.

  7. उत्सव मनवले क विधि – 31 दिसम्बर क रात नया साल के स्वागत के खातिर लोग जमके मदिरा पान करेलें, हंगामा करेलें, रात के पी के गाड़ी चलवले से दुर्घटना क सम्भावना, छेड-छाड जइसन वारदात, पुलिस प्रशासन बेहाल अउर भारतीय सांस्कृतिक मूल्य क विनाश होला. जबकि “भारतीय नववर्ष व्रत से शुरू होला, पहला नवरात्र होला” घर घर मे माता रानी क पूजा होला. शुद्ध सात्विक वातावरण बनेला.

  8. ऐतिहासिक महत्त्व –
    एक जनवरी क कवनों ऐतिहासिक महत्व नाही होला.. जबकि चइत प्रतिपदा के दिन महाराज विक्रमादित्य द्वारा विक्रमी संवत् क शुरुआत, भगवान झूलेलाल क जन्म, नवरात्र प्रारंभ, ब्रह्मा जी द्वारा सृष्टि क रचना इत्यादि क सम्बन्ध एह दिन से होला.

अंग्रेजी कलेंडर क तारीख अउर अंग्रेज मानसिकता के लोग के अतिरिक्त कुछ नाही बदलेला..आपन नव संवते असली नया साल होला.

जब ब्रह्माण्ड से लेके सूर्य चाँद क दिशा, मौसम, फसल, कक्षा, नक्षत्र, पउधा क नया पत्ती, किसान क नया फसल, विद्यार्थी क नया कक्षा, मनुष्य में नया रक्त संचरण आदि परिवर्तन होत ह, जवन विज्ञान पर आधारित ह.

अपने मानसिकता के बदलीं. विज्ञान आधारित भारतीय काल गणना के पहचानी.

हम सब 1 जनवरी के “केवल कैलेंडर बदलीं.. आपन संस्कृति नाहीं.”

आई जागीं अउर जगाईं, भारतीय संस्कृति के अपनाईं अउर आगे बढ़त रहीं.

पनपा गोरखपुरी, भारतीय नया वर्ष,

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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