अनिल ओझा ‘नीरद’ के दू गो गीत
अनिल ओझा ‘नीरद’ (एक) दोसर का बूझी इहवाँ, दोसरा के बेमारी?ऊ त बूझऽतारी चीलम, जेह पर चढ़ल बा अँगारी।। देशवा के देखऽ अपना, आजु इहे हाल बा।नेता लोग का करनी…
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अनिल ओझा ‘नीरद’ (एक) दोसर का बूझी इहवाँ, दोसरा के बेमारी?ऊ त बूझऽतारी चीलम, जेह पर चढ़ल बा अँगारी।। देशवा के देखऽ अपना, आजु इहे हाल बा।नेता लोग का करनी…
भोजपुरी गीत नवगीत के बरियार हस्ताक्षर सुप्रसिद्ध साहित्यकार सतीश प्रसाद सिन्हा जी के निधन के खबर पा के मन बहुते दुखी हो गइल. सतीश प्रसाद सिन्हा जी के जनम 1…
– चन्द्रदेव यादव (एक) पवन पानी धूप खुसबू सब हकीकत ह, न जादू ! जाल में जल, हवा, गर्मी गंध के, के बान्ह पाई? रेत पर के घर बनाई? हम…
– अक्षय कुमार पाण्डेय (1) बसन्त चमचम चमके लागल पीतर सोना जइसन भाई – समझऽ अब बसन्त आइल हऽ। पुरुवा से पछया झगरत बा दुपहर साँझ फजीरे, पाथर के रसरी…
– डॉ० हरीन्द्र ‘हिमकर’ पहिल गीत कवन गाईं एह गीतन का गाँव में पाहुन-सन मन रहल लजाइल. धनखेती में फूटल सोना रुपनी बइठल बीनत मोना जाँता से जिनिगी लपटाइल छंद…
– ओमप्रकाश अमृतांशु कांचे कोंपलवा मड़ोड़ि दिहलस रे, इंसान रूपी गीधवा जुलूम कइलस रे. खेलत-कुदत-हँसत रहले हियरवा, अनबुझ ना जाने कुछु इहो अल्हड़पनवा, रोम-रोम रोंवां कंपकंपाई दिहलस रे, इंसान रूपी…
(पाती के अंक 62-63 (जनवरी 2012 अंक) से – 23वी प्रस्तुति) – रिपुसूदन श्रीवास्तव जिन्दगी हऽ कि रूई के बादर हवे, एगो ओढ़े बिछावे के चादर हवे. जवना घर में…
– मनोज भावुक बोल रे मन बोल जिन्दगी का ह … जिन्दगी का ह . आरजू मूअल, लोर बन के गम आँख से चूअल आस के उपवन बन गइल पतझड़,…
– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल एक लागेला रस में बोथाइल परनवा ढरकावे घइली पिरितिया के फाग रे ! धरती लुटावेली अँजुरी से सोनवा बरिसावे अमिरित गगनवा से चनवा इठलाले पाके…
– डा॰अशोक द्विवेदी रतिया झरेले जलबुनिया फजीरे बनि झालर, झरे फेरु उतरले भुइयाँ किरिनिया सरेहिया में मोती चरे ! सिहरेला तन, मन बिहरे बेयरिया से पात हिले रात सितिया नहाइल…