घर सुधरी त जग सुधरी
विजय मिश्र ओह दिन बाँसडीह जाए के रहल। मोटर साइकिल निकाल के स्टार्ट कइनी त पेट्रोल कम बुझाइल। कुछे दूरी पर पेट्रोल टंकी रहे, उहाँ पहुँचते सामने से एगो लइका…
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विजय मिश्र ओह दिन बाँसडीह जाए के रहल। मोटर साइकिल निकाल के स्टार्ट कइनी त पेट्रोल कम बुझाइल। कुछे दूरी पर पेट्रोल टंकी रहे, उहाँ पहुँचते सामने से एगो लइका…
बलिया के बापू भवन सभागार में काल्हु अतवार का दिने विश्व भोजपुरी सम्मेलन के बलिया इकाई आ भोजपुरी दिशाबोध के पत्रिका पाती के आयोजन में भोजपुरी के तीन गो मूर्धन्य…
– विजय मिश्र लइका हनेला जवाब, अब सयान हो गइल बहू अइली घरे, अलगा चुहान हो गइल. पहिला रिस्ता टूटल जाता, नवका रोज धराता ननिअउरा त याद ना आवे, बढ़ल…