एक कप चाय ला तरसि गइल भोजपुरी

by | Jun 25, 2023 | 0 comments

मथैला पढ़ि के माथ घूमत होखे त घुमावले हमार मनसा बा. काहे कि आजु हम कुछ तीख परोसे जा रहल बानी. पूरा पढ़ि के देखीं आ सोचीं कि हमरा बाति में कतना सचाई बा.

रउरा भोजपुरी का पहिलका वेबसाइट पर आइल बानी. अँजोरिया का शुरुआत आजु से करीब बीस बरीस पहिले बलिया से भइल रहुवे. ना कवनो साधन, ना कवनो तइयारी, ना संगठन. साधन से हमरा बैर रहल बा. तइयारी करे के धीरज ना रहे हमरा. जब मन में कुछ आवेला क बइठिलें. बाद में सम्हार भा आँवक में मामिला ना रहि जाव त बदलहूँ में समय ना लागे.

19 जुलाई 2003 का दिने शुरु भइल अँजोरिया डॉटकॉम का पीछे बस भोजपुरी से प्रेम रहल. भोजपुरी खातिर कुछ करे के मनसा बहुते दिन से रहल. मेडिकल कॉलेज में पढ़त घरी मन कइल एगो पत्रिका निकाले के त निकाल बइठलीं भोजपुरिहा. एक अंक छपला का बाद ऊ दुबारा ना छपल. बाकिर किस्मत देखीं कि एके अंक निकलला का बावजूद एगो शोधार्थी अपना किताब में ओकरा के सूचीबद्ध कर लिहलन. “भोजपुरी प्रकाशन के सई बरीस” नाम के ई किताब हमरा पटना के भोजपुरी अकादमी में लउकल त ओकरा के खरीद लेबे में इचको हिरिस ना भइल. एक कप चाय ला तरसत भोजपुरी के चरचा पूरा होखबे करी बाकिर ओकरा के सेराए से पहिलहीं हम आपन बाति पूरा क लिहल चाहत बानी.

हँ त भोजपुरी अकादमी से हम कुछ अउरिओ किताब खरीदनी. संजोग से अबहीं सब घर पर रखाइल बा आ हम हैदराबाद के डेरा पर बन्हाइल बानी. आदमी के अपना भाषे से मोह ना होला, परिवारो से छोह रहेला आ बहुत कुछ एही छोह ला करे के पड़ि जाला. जब ले जाँगर रहल आ कमाई के साधन रहल तबले ई ना सोचनी कि अँजोरिया के प्रकाशन पर कतना खरचा होखत बा. अँजोरिए भर ना कई गो अउरिओ वेबसाइट शुरु कइनी. अफसोस ओहमें से अधिका अब बन्द हो गइल बा. बन्द त अँजोरिऔ के हो गइला के अनेसा बनि गइल बाकिर देवकृपा से जइसे तइसे एकरा के जियतार बनवले रखले बानी. तबियत खराब आ इलाज में भइल खरचा डाँड़ तूड़ि दिहलसि बाकिर लइकन का छोह से पार लागत बा. चाय हम पहिले दिन भर में दस बीस कप पी लेत रहीं. कुछ त अपना व्यस्तता का चलते समय का कमी से भूख मारे के मजबूरी में आ कुछ समय काटे का फेर में. उहे सुभाव हमरो के डाक्टर का लगे चहुँपा दिहलसि. अब डाक्टर का सलाह पर दिन भर में बस एक कप पिए के मिलेला. राह पेड़ा में रउरो गरम चाय के आवाज सुनि के मन से भा बेमन से चाय पियते होखब. आम तौर पर एह घरी साधारण चाय के एक कप दस रुपिया में मिलेला. आ रउरा दस रुपिया बचावे खातिर आपन हिरिस ना मारीं. एही दस रुपिया के चाय ला तरसि के रहि गइल बिया भोजपुरी.

रउरो सोचत होखब कि आजु हम का कहे के चाहत बानी. मन में आवत होखी कि समय खराब कइला से नीक रहि कि बन्द करि दीहल जाव ई पन्ना. बाकिर एगो निहोरा बा कि आजु पूरा पढ़ला बिना जाएब मत. ओकरा बाद आएब कि ना से राउर मेहरबानी.

कुछ बरीस पहिले भोजपुरी कलाकार निरहुआ के एगो गीत के बोल सुने के मिलल रहुवे कि – “पढ़ीह लिखीह कवनो भाषा, बतियइह भोजपुरी में !” एकरा से अउर कुछ होखे चाहे ना भोजपुरी के जिअवले राखे में मदद मिली. बइसे भोजपुरी के मुआवे ला बहुते लोग लागत बा. आ बहुत हद ले ओह लोग के सफलतो मिलत लउकत बा. ई श्लील आ सभ्य लोग घर परिवार में भोजपुरी में ना बोले. लड़िकन से हिन्दी भा ढेरे श्लील भइलें त अंगरेजी में गुटुर गूं करेले. बाकिर इहे लोग सबले अधिका चिचियाला कि भोजपुरी फिलिम आ गीत गवनई अश्लीलता से भरल होला. अरे भाई आम आदमी का लगे अतना सुभीता ना होखे कि ऊ श्लील आ अश्लील का बहस में आपन मगज खपावे. एगो उपन्यास में एगो प्रसंग आइल रहुवे कि महतारी अपना बुतड़ू के पखाना कइला का बद ओकर गाँड़ धोवत बिया. उपन्यास भोजपुरी में ना होके हिन्दी में रहुवे बाकिर ओकर प़ष्ठभूमि भोजपुरी इलाका के रहल. लेखक से एकरा बारे में जिज्ञासा कइनीं त कहले कि रउरे बता दीं कि गाँड़ धोवे के बाति हिन्दी में कइसे कहे के चाहीं. इयाद पड़ गइल अइसने अश्लीलता के मुकदमा में अदालत में दीहल मण्टो के बयान कि औरत के छाती के छाती नी कहीं त कहीं ! श्लील आ अश्लील के चरचा मे इहो इयाद आवत बा कि सतरहवीं शताब्दी में ग्रीक आ लैटिन बोले वाला लोग अंगरेजी के वल्गर कहत रहुवे. अबहीं भोजपुरी ओही दौर से गजरत बिया. बाकिर भोजपुरी पर लट्ठ ले के पड़ल लोग से इहे कहब कि – ए मरदे भोजपुरी खातिर त एक कप चाय पिआवे के औकात नइखे बाकिर ओकरा ला उपदेश परसे में कवनो लाजो ना आवे.

हमरा लागेला कि भोजपुरी के तीन गो बड़का दुश्मन बाड़ें – मठाधीश. लंठाधीश. अउर मुफ्तखोर ! मठाधीशन से हमरा डर ना लागे काहें कि ऊ लोग हमार उखाड़िए का ली ! बीस बरीस से भोजपुरी के ई पहिलका वेबसाइट चलावत बानीं. का कइले बाड़ें ऊ एकरा ला ? कहे खातिर त भोजपुरी के कवनो संस्था अखिल भारतीय भा विश्व से कम के सींग ना जोड़ के राखे अपना नाम में. बाकिर पूछ लीं कि ओह में कवन संस्था भा संगठन आपन प्रेस विज्ञप्ति भोजपुरी में जारी करेले. कहला पर लोग कहि देला कि सगरी अखबार हिन्दी भा अंगरेजी के होली सँ आ ओहनी खातिर हिन्दी में विज्ञप्ति दीहल सुगम रहेला. बाकिर ई ना कहे लोग कि अतना समय नइखे कि आपन मूल विज्ञप्ति भोजपुरी में जारी कइल करे आ ओकरा संगे हिन्दी आ अंगरेजी के अनुवादो नत्थी क देव. एहसे ओह अखबारनो के बुझाई कि एह लोग के भोजपुरी से प्रेम बा. बाकिर साँच कहीं त भोजपुरी से अधिका प्रेम आपन नाम आ फोटो अखबारन में देखे के रहेला. चाय सेरात होखे त पी लिहीं भा सेरा गइल होखे त दूबारा मंगा लीं काहैं कि बाति आजु लमरल जात बा.

मठाधीशन का बाद भोजपुरी के दुश्मन दोसर लोगन में कुछ लोग होला लण्ठाधीश. अइसने कुछ लोग का चलते अँजोरिया का बाद शुरु भइल बाकिर ओकरा से बढ़िया, साधन संपन्न साईट आइल भोजपुरिया डॉटकॉम. ओकर संचालक रहल सुधीर भाई अब अपना रोजी रोजगार मैं मस्त बाड़ें. उनुका सफलता ला शुभकामना. बाकिर ई अफसोस हमेशा रहेला कि भोजपुरिया जइसन वेबपोर्टल के बन्द ना होखे के चाहत रहुवे. खैर. जवना भाषा के प्रेमी लोग एक कप चाय पिआवे के हैसियत ना राखत होखे ओह भाषा के प्रकाशनन के अइसन दुर्दशा होखल स्वाभाविक बा.

चाय के चरचा हर कुछ देर पर उठा देत बानी त एकर ई मललब नइखे कि हम मोदी के चाय पर चरचा वाला रणनीति पर चले के कोशिश करत बानी. हमार चरचा चाय पर ना होके चाय पिअवला पर बा. एहसे अब सीधे ओही बात पर आवत बानी.

भोजपुरी से जुड़ल लोग के कुछ अलग अलग खाना में राखल जा सकेला. सबले बड़का समूह बा ओह लोग के जे भोजपुरी में बोले बतियावेला, भोजपुरी फिलिम देखेला, आ भोजपुरी के गीत गवनई सुने के आनन्द लेला. ई बड़का समूह आम लोगन के हवे जिनका श्लील होखे-बने के सौभाग्य ना मिल पावल. ई लोग दिन भर हाड़ तूड़त मेहनत कइला का बाद मिलल कुछेक पल के अपना आनन्द में गुजार लेला. दोसरे भोजपुरी मठाधीशन का कृपा से भा कहीं कि ओह लोग का बीच के कुकुर बझाँव का चलते आजु ले भोजपुरी के कवनो मानक सर्वग्राह्य ना हो पावल. तीन कोस पर पानी बदले पाँच कोस पर बानी. हर जिला के आपन अलगे भोजपुरी होला. आ एकरा ला दोषी हवे भोजपुरी प्रकाशनन के कमी.

हाँके भा फउँके ला त लोग शान से कहेला कि दुनिया में भोजपुरी बोले वालन के गिनिती तीस करोड़ का पार बावे, बाकिर पूछ लीं कि ओहमें से कई लोग भोजपुरी पढ़ सकेला त दाँए-बाँए ताके लागी लोग. कारण बा हिन्दी में होखे वाला पढ़ाई. हिन्दी में ह्रस्व आ दीर्घ के मात्रा होला बाकिर भोजपुरी में अर्ध-ह्रस्व आ दीर्घ-दीर्घ होखला का चलते छपल भोजपुरी पढ़े में दिक्कत होखेला. भोजपुरी में एगो अउरी खासियत होला “ऽ” के उपयोग. कुछ लोग त अपना लेख, कहानी, कविता में एकरा के अतना अधिका इस्तेमाल कर लेला कि पढ़ल-बूझल मुश्किल होखे लागेला. अब एह व्याकरण का चरचा में हम भुलाइल नइखीं एक कप चाय के बात.

कवनो भाषा आदमी काहें ला पढ़ेला-सीखेला ? एह उमेद में कि ओकरा से कवनो नौकरी मिल जाई आ जिए के सहारा. बाकिर भोजपुरी के पढ़ाई का बाद कवन नौकरी मिले वाला बा ? जेकरा मिले के रहल से जँहे-तँहे कवनो विश्वविद्यालय भा महाविद्यालय में नौकरी पा लिहले बा. ओहू लोग के एहसे मतलब नइखे कि भोजपुरी के विद्यार्थी ना बड़िहें त विभाग कइसे चली.

एगो ठेंठ सवाल अब एक कप चाय लेके. हम शुरुए में कहले बानी कि भोजपुरी एक कप चाय ला तरसि के रहि गइल बिया. भोजपुरी के किताब, पत्रिका, प्रकाशन निकाले में खरचा होला. अगर एह खरचा के भरपाई ना हो पाई त कतना दिन ले आ कइसे चली भोजपुरी के कारोबार. लिखनिहार लोग आपन लिखल रचना के आपन जमा पूंजी खरचि के छपवा त लेला बाकिर ऊ बिक ना पावे, काहे कि भोजपुरी पढ़ेवालन के खरचा अतना बा कि भोजपुरी के एक कप चाय ना पिआ सकसु.

एक कप चाय अगर रउरा रोज भोजपुरी के पिआ सकीं त जानत बानीं कि कतना के रोजगार पैदा हो सकेला ? एक कप चाय रोज साल भर में 3650 रुपिया के हो जाई. कोशिश करीं कि एह राशि से कवनो भोजपुरी किताब खरीदीं. कवनो पत्रिका के गाहक बनि जाईं, भा कवनो भोजपुरी संस्था के सहयोग करेला खरच दीं. कवनो किताब, कवनो पत्रिका, कवनो प्रकाशन, कवनो संस्था जवने रउरा रुचे ओकरे पर खरचीं. बाकिर खरचीं जरुर.

रउरा अगर इन्टरनेट पर जात बानीं त कवनो ना कवनो भोजपुरी वेबसाईट के दू चार पन्ना जरुर पढ़ लीं. राउर पाँच मिनट के हाजिरी ओह वेबसाइट प्रकाशक के उल्साह बढ़ाई. संभव होखे त ओकरा के आपन कुछ सहयोगो राशि दीं.

साथी हाथ बढ़ाना, साथी रे …
एक अकेला थक जाएगा,
मिल कर हाथ बँटाना.
साथी हाथ बढ़ाना.

आखिर में अँजोरिया के भामाशाहन के हार्दिक अभिवादन.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

हेल्थ इन्श्योरेंस करे वाला संस्था बहुते बाड़ी सँ बाकिर स्टार हेल्थ एह मामिला में लाजवाब बा, ई हम अपना निजी अनुभव से बतावतानी. अधिका जानकारी ला स्टार हेल्थ से संपर्क करीं.
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