एही शौचालय की कारन ही ससुरा त्याग, नैहर में लौट गइली दुलहिनिया
– नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती बदली समाज अब स्वच्छता अभियाने से, जागरुक होत हई घर-घर बबुनिया. बाबुजी हमरा के ओइजा ना बिअहब, जवना घरे बनल ना होई लैटिनिया. देखीं महराजगंज प्रियंका…
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– नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती बदली समाज अब स्वच्छता अभियाने से, जागरुक होत हई घर-घर बबुनिया. बाबुजी हमरा के ओइजा ना बिअहब, जवना घरे बनल ना होई लैटिनिया. देखीं महराजगंज प्रियंका…
– नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती प्रकृति क व्यवस्था में जीवन के गाड़ी खातिर दु पहिया जरूरी बतावल गइल. समाज के लोग संतति बढ़वला में सावधानी ना बरती त सामाजिक संरचना गड़बड़ा…
– नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती मनबोध मास्टर बहुत परेशान भइलें. खेत में खाड़ पाकल-फूटल फसल खड़ा रहल, कटिया खातिर मजदूर ना मिले. अरे भया! मजूर कहां से मिली? सब हजूर हो…
– नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती मनबोध मास्टर दुखी मन से कहलें – असों होली ना मनाइब. मस्टराइन पूछली- काहें? ऊ कहलें – सूर्पनखा की नाक की चलते. बात सही बा. जहां-जहां…
– नर्वदेश्वर पाण्डेय देहाती मंदिर में मंथन भइल, मिली जाम से मुक्ति? जाम-झाम क नाम पर, आपन-आपन युक्ति.. नगर निगम में धांधली, गेट में ताला बंद. लाठी चार्ज में बहल…