Tag: भोजपुरी कविता

भिखारी ठाकुर के जयन्ती का अवसर पर स्मरण

भोजपुरी लोक-रंग के प्रतीकःभिखारी – डॉ0 अशोक द्विवेदी अपना समय सन्दर्भ में भिखारी ठाकुर, अपना कला-निष्ठा आ कबित-विवेक वाला रंग-कर्म से अपना समय के सर्वाधिक लोकप्रिय कलाकार रहलन। ऊ लोकनाट्य-परम्परा…

बोली-भाषा के कविता : आ ओकरा सुघराई के गाँहक

भोजपुरी दिशा-बोध के पत्रिका पाती के नयका अंक आ गइल। पेश बा ओकरा संपादक डॉ0 अशोक द्विवेदी जी के “हमार पन्ना” – एघरी कविता जवना लूर-ढंग , शैली आ कलात्मक…

‘कथ’ आ शिल्प के तनाव में अर्थ के ‘लय

डॉ. उमाकान्त वर्मा (अपना कवनो परिचित-अपरिचित, बोझिल स्थिति से उकेरल प्रभाव के मानसिक दबाव के महसूस करीले त हमार सृजन प्रक्रिया सुगबुगाले। ई दबाव कथ आ शिल्प दूनों में होला…

बसंत प दू गो कविता

– डॉ राधेश्याम केसरी 1) आइल बसंत फगुआसल सगरी टहनियां प लाली छोपाइल, पछुआ पवनवा से अंखिया तोपाइल, देहिया हवे अगरासल, आइल बसन्त फगुआसल। कोयल के बोल अब खोलेला पोल,…

गइले सुरुज, हाय छोड़ि मैदनवाँ

– हीरा लाल ‘हीरा’ जड़वा लपकि के धरेला गरदनवाँ देंहियाँ के सुई अस छेदेला पवनवा ! नस -नस लोहुवा जमावे सितलहरी सुन्न होला हाथ गोड़, ओढ़नो का भितरी थर- थर…

रोज-रोज काका टहल ओरियइहें !

(भोजपुरी गीत) – डा. अशोक द्विवेदी भीरि पड़ी केतनो, न कबों सिहरइहें.. रोज-रोज काका टहल ओरियइहें! भोरहीं से संझा ले, हाड़ गली बहरी जरसी छेदहिया लड़ेले सितलहरी लागे जमराजो से,…

जिम्मेदारी

– रामरक्षा मिश्र विमल   जिम्मेदारी सघन बन में हेभी गाड़ी के रास्ता खुरपी आ लाठी के बल नया संसार स्वतंत्र प्रभार   जिम्मेदारी जाबल मुँह भींजल आँखि फर्ज के…

जिम्मेदारी

– रामरक्षा मिश्र विमल जिम्मेदारी सघन बन में हेभी गाड़ी के रास्ता खुरपी आ लाठी के बल नया संसार स्वतंत्र प्रभार   जिम्मेदारी जाबल मुँह भींजल आँखि फर्ज के उपदेश…