साहब बुझले पियाज, सहबाइन बुझली अदरख (बतकुच्चन-201)
साहब बुझले पियाज, सहबाइन बुझली अदरख. ना ना, बतावे के कवनो जरूरत नइखे कि हम गलत कहाउत कहत बानी. असल कहाउत हमरो मालूम बा बाकिर सेकुरल कब कवना बात प…
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साहब बुझले पियाज, सहबाइन बुझली अदरख. ना ना, बतावे के कवनो जरूरत नइखे कि हम गलत कहाउत कहत बानी. असल कहाउत हमरो मालूम बा बाकिर सेकुरल कब कवना बात प…
बात के खासियते होला कहीं से चल के कहीं ले चहुँप जाए के. कहल त इहो जाला कि एक बार निकलल ध्वनि हमेशा खातिर अंतरिक्ष में मौजूद हो जाले. आजु…
फार, फारल भा फरला से लगवले फरिअवता भा फरिआवल के चरचा करे चलनी त नीर-क्षीर विवेक के बात धेयान में आ गइल. कहल जाला कि हंस नाम के पक्षी में…
पिछला बेर निमन के चरचा भइल रहुवे. चरचा पूरा ना पड़ल काहे कि ओह बात के अउरीओ तरह से देखल जा सकेला. आ आजु ओकरे के दोसरा कोण से देखे…
आजु जब बतकुच्चन लिखे बइठनी त सोचले रहीं कि आजु तेहो आ तेहा वाली बाति के तहियाएब जहाँ पिछला हफ्ता छोड़ले रहनी. तले चालू टीवी से कान में आवाज आइल…
आजु दू अक्टूबर ह, गांधी बाबा आ लालबहादुर शास्त्री के जन्मदिन. दुनु सादगी से भरल. संजोग से आजु दुर्गापूजा के नवराति के छठवाँ दिन ह. एह धूमधाम, उत्साह, उछाह भरल…
आजु जब बतकुच्चन करे बइठनी त मन सरोकार-सरकार-सरकँवासी से सरकत गझिन आ फाँफर पर आ के अटक गइल. सरोकार-सरकार-सरकँवासी पर पहिले बतिया चुकल बानी आ ओकरा के दोहरवला के कवनो…
प्रकृति के एगो नियम विज्ञान में पढ़ावल जाला कि ऊ गँवे गँवे सब कुछ के समतल सपाट करे में लागल रहेले, चाहे ऊ पहाड़ होखे भा कवनो झील पोखरा गड़हा.…
बतबनवा के बतकुच्चन कइल दोसर बाति ह आ घुरचियाह के घुरपेंच बतियावल दोसर. बतकुच्चन करे वाला बाते बात में सामने वाला के कुछ बता देबे के कोशिश करेला. जबकि घुरचियाह…
मानत बानी कि बरसात के मौसम बा. कहीं कम त कहीं बेसी बरखा पड़त बा. बाकिर एकर मतलब ई त ना भइल कि सड़कि के कादो पाँकि हँचाड़ खोभाड़ि के…
आजु जब हम ई लिख रहल बानी त मन बहुते अँउजाइल बा. तीन दिन से कुछ काम नइखे हो पावत. सगरी धेयान ओहिजा लागल बा जहवाँ दू गो पक्ष एह…