
बतकुच्चन – १३
पहुँचा कहल जाला हाथ का हथेली के जोड़ वाली जगह, कलाई के भा मणिबन्ध के. आ पहूँची कहल जाला एगो खास तरह के गहना के […]
पहुँचा कहल जाला हाथ का हथेली के जोड़ वाली जगह, कलाई के भा मणिबन्ध के. आ पहूँची कहल जाला एगो खास तरह के गहना के […]
तेरह तारीख के चुनाव परिणाम सुनत एगो बाति दिमाग में घूमे लागल. बंगाल में दीदी जीत गइली, तमिलनाडु में अम्मा. राजनीति में सत्ता के गलियारन […]
पिछला हफ्ता गोबर पथार के बात निकलल रहे त अबकी खर पतवार दिमाग में आ गइल बा. खर पतवार का बारे में सोचते दिमाग में […]
आजु पता ना काहे मन अँउजाइल बा. लागत बा कि कंठ में कुछ अटकल बा अँउजार जइसन. आ कंठ का भीतर कुछ अटकल होखे त […]
मैंने कहा. हमने कहा. तुमने कहा, उसने कहा, राम ने कहा. अरे भाई का कहा आ काहे कहा ? आ आजु आप हिन्दी काहे छाँटे […]
पिछला हफ्ता के तिकवत तिवई का बाद आजु सोचत बानी कि अकसर आ अकसरुआ के बाति कर लीं. अब अकसरुआ त उहे नू कहाई जे […]
कुछ दिन पहिले एगो साहित्यकार बंधु के फोन आइल रहुवे. उहाँ के जानल चाहत रहीं कि तिवई के मतलब का होला. शब्द के अर्थ ओकरा […]
सोचत बानी कि लोग कहत होखी कि ई अनेरे अतना बतकुच्चन कइले रहेला. जरुरे अनेरिया आदमी होखी जेकरा लगे दोसर कवनो काम नइखे. बाकिर का […]
“करे केहू भरे केहू”. पुरान कहावत हऽ अब एकर टटका उदाहरण सामने आइल बा. घोटाला करे वालन के त पता ना का होई बाकिर आम […]
Copyright © 2021 | WordPress Theme by MH Themes