साहब बुझले पियाज, सहबाइन बुझली अदरख (बतकुच्चन-201)

साहब बुझले पियाज, सहबाइन बुझली अदरख. ना ना, बतावे के कवनो जरूरत नइखे कि हम गलत कहाउत कहत बानी. असल कहाउत हमरो मालूम बा बाकिर सेकुरल कब कवना बात प…

पइसार आ पसार के चरचा (बतकुच्चन – 200)

बात के खासियते होला कहीं से चल के कहीं ले चहुँप जाए के. कहल त इहो जाला कि एक बार निकलल ध्वनि हमेशा खातिर अंतरिक्ष में मौजूद हो जाले. आजु…

फार, फारल भा फरला से लगवले फरिअवता भा फरिआवल के चरचा : बतकुच्चन – 197

फार, फारल भा फरला से लगवले फरिअवता भा फरिआवल के चरचा करे चलनी त नीर-क्षीर विवेक के बात धेयान में आ गइल. कहल जाला कि हंस नाम के पक्षी में…

बतकुच्चन – ३०

आजु दू अक्टूबर ह, गांधी बाबा आ लालबहादुर शास्त्री के जन्मदिन. दुनु सादगी से भरल. संजोग से आजु दुर्गापूजा के नवराति के छठवाँ दिन ह. एह धूमधाम, उत्साह, उछाह भरल…

बतकुच्चन २९

आजु जब बतकुच्चन करे बइठनी त मन सरोकार-सरकार-सरकँवासी से सरकत गझिन आ फाँफर पर आ के अटक गइल. सरोकार-सरकार-सरकँवासी पर पहिले बतिया चुकल बानी आ ओकरा के दोहरवला के कवनो…

बतकुच्चन – २७

बतबनवा के बतकुच्चन कइल दोसर बाति ह आ घुरचियाह के घुरपेंच बतियावल दोसर. बतकुच्चन करे वाला बाते बात में सामने वाला के कुछ बता देबे के कोशिश करेला. जबकि घुरचियाह…

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