Month: मार्च 2021

घर सुधरी त जग सुधरी

विजय मिश्र ओह दिन बाँसडीह जाए के रहल। मोटर साइकिल निकाल के स्टार्ट कइनी त पेट्रोल कम बुझाइल। कुछे दूरी पर पेट्रोल टंकी रहे, उहाँ पहुँचते सामने से एगो लइका…

बदलत-समय

डॉ अशोक द्विवेदी सगरी परानीभइल आजु शहरीगँउवाँ का बिचवाँ मेंसून परल बखरी ! घरनी ले पुतवे का छोह में धधइलीपूत का गदेलन में जाइ अझुरइलीबुढ़ऊ के बहरी कझाँय-झाँय कोठरी !…

धुँधुआइल जनचेतना आ साहित्य पर संकट

(कविता-अंक ”पाती“, सितम्बर-1993 से मार्च 2021 अंक में फेरु प्रकाशित) डॉ अशोक द्विवेदी आज के असहाय, उपास, बेचैन आ फिकिरमंद अदिमी के दिनो-दिन झुरात जीवन-रस आ सौंदर्य-चेतना के महसूस करे…