पप्पू मिश्र ‘पुष्प’ के ठहाका
– पप्पू मिश्र ‘पुष्प’ पेट के पपीहरा के पियास बुझावे खातिर उ खुशी-खुशी ओ लो के सेवा-तबदारी में लाग गइल। सेवा-तबदारी से जवन कुछ मिले ओ से ओकर आ ओकरा…
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– पप्पू मिश्र ‘पुष्प’ पेट के पपीहरा के पियास बुझावे खातिर उ खुशी-खुशी ओ लो के सेवा-तबदारी में लाग गइल। सेवा-तबदारी से जवन कुछ मिले ओ से ओकर आ ओकरा…
(1) बखारी बास के चचरा गोल गोल मोडाईल ऊपर से खरई सरिया के बंधाईल माटी के लेप चचरा पे लेपाईल बखारी के रूप लेके खड़ियाइल फिर टीका लगल अगरबत्ती बाराईल…
भोजपुरी लोक-रंग के प्रतीकःभिखारी – डॉ0 अशोक द्विवेदी अपना समय सन्दर्भ में भिखारी ठाकुर, अपना कला-निष्ठा आ कबित-विवेक वाला रंग-कर्म से अपना समय के सर्वाधिक लोकप्रिय कलाकार रहलन। ऊ लोकनाट्य-परम्परा…
भोजपुरी दिशा-बोध के पत्रिका पाती के नयका अंक आ गइल। पेश बा ओकरा संपादक डॉ0 अशोक द्विवेदी जी के “हमार पन्ना” – एघरी कविता जवना लूर-ढंग , शैली आ कलात्मक…