‘कथ’ आ शिल्प के तनाव में अर्थ के ‘लय
डॉ. उमाकान्त वर्मा (अपना कवनो परिचित-अपरिचित, बोझिल स्थिति से उकेरल प्रभाव के मानसिक दबाव के महसूस करीले त हमार सृजन…
डॉ. उमाकान्त वर्मा (अपना कवनो परिचित-अपरिचित, बोझिल स्थिति से उकेरल प्रभाव के मानसिक दबाव के महसूस करीले त हमार सृजन…
दयानंद पांडेय ई कइसन धागा हऽ जवना से अइसन चादर बुन लीहलऽ मुख़्तार अंसारी कि दुनिया के डेरावत-डेरावत अपने डेराए…
(स्व0) शिव प्रसाद सिंह चइत क रात गाँवे में जब उतरेले एगो नसा जइसन पसर जाला सगरी ओर। सुबह होखे…
लाल बिहारी लाल सैंया बिना लागे नाहीं मनवा हो रामा,चइत महिनवा, हो चइत महिनवा.सुना-सुना लागे ला भवनवा हो रामा,चइत महिनवा,…
डॉ अर्जुन तिवारी न समझने की ये बातें हैं न समझाने कीजिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की. फिराक गोरखपुरी…
आशारानी लाल अबहिंए सोझा एतना न परछाई रेंगत रहीसन कि ना बुझाय कि कवना के ढेर निहारीं आ कवना के…
विजय मिश्र ओह दिन बाँसडीह जाए के रहल। मोटर साइकिल निकाल के स्टार्ट कइनी त पेट्रोल कम बुझाइल। कुछे दूरी…
(कविता-अंक ”पाती“, सितम्बर-1993 से मार्च 2021 अंक में फेरु प्रकाशित) डॉ अशोक द्विवेदी आज के असहाय, उपास, बेचैन आ फिकिरमंद…